लिंक व साइबर ठग एप भेज कर साइबर ठग खाली कर रहे खाता

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साइबर ठग एप व लिंक भेज कर खंगाल रहे खाता – जालसाजी का तरीका बदला, साइबर सेल आज तक ऐसे गिरोह को नहीं दबोच सकी – केस-1 विकासनगर की ममता सक्सेना को कुछ दिन पहले साइबर ठगों ने एक एप डाउनलोड करने के लिए लिंक भेजा। एप डाउनलोड करते ही खाते से एक लाख रुपये निकल गए। पीड़ित की शिकायत पर साइबर सेल जांच कर रही है। केस-2 चौक के ही पुल गुलाम हुसैन रोड निवासी खालिदा के मुताबिक, फरवरी व अप्रैल में उनके पास दो कॉल आईं थीं। कॉलर दो युवतियों ने योजनाओं का झांसा देकर फंसाया। बातों-बातों में बैंक संबंधी जानकारी लेकर कई बार में खाते से 2.78 लाख रुपये उड़ा लिए। केस-3 नाका के ऐशबाग स्थित निवाजखेड़ा निवासी अंजना अग्रवाल के पास सोमवार को एक कॉल आई। कॉलर ने खुद को बैंककर्मी बताया और खाता संबंधी जानकारी लेकर अंजना के खाते से 55 हजार रुपये उड़ा दिए। बैंक में शिकायत के बाद मंगलवार को अंजना ने नाका थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। केस-4 फास्ट टैग एक्टीवेट कराने का झांसा देकर राजाजीपुरम निवासी देवेंद्र कुमार शुक्ला के खाते से ठगों ने 18 हजार रुपये पार कर दिए। पीड़ित ने मुकदमा दर्ज कराया है। साइबर क्राइम सेल की मदद से पुलिस जांच कर रही है। लखनऊ। साइबर ठगों ने जालसाजी का तरीका बदल दिया है। पहले ठग वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) पूछकर खाता खंगालते थे। अब एप व लिंक भेज कर लोगों को चपत लगा रहे हैं। जनवरी से लेकर अभी तक साइबर क्राइम सेल के पास इस तरह के बैंक फ्रॉड के 1,000 से अधिक मामले आ चुके हैं। इनमें से 85% मामलों में पीड़ितों की रकम तो वापस खाते में आ गई। लेकिन साइबर सेल आज तक ऐसे किसी भी गिरोह का पर्दाफाश नहीं कर सकी जो लिंक भेजकर ठगी करता हो। साइबर जालसाज प्रमुख रूप से एनीडेस्क और टीम विवर जैसे एप से ठगी करते है। इन एप के जरिए ठग पीड़ित की हरकतों को आसानी से देख लेते हैं और इसके आधार पर साजिश रचकर ठगी करते हैं। वहीं, कुछ लिंक भेज कर डाउनलोड करने को बोलते हैं। इसके अलावा अब क्यूआर कोड भेजकर स्कैन करने की बात कहकर रुपये उड़ा रहे हैं। एप व लिंक न करें डाउनलोड साइबर क्राइम सेल के एसीपी विवेक रंजन राय के मुताबिक, एप व लिंक किसी भी हालत में डाउनलोड न करें। इस तरह के ऑफर का दबाव बनाने वालों से दूरी बनाएं। कोई इनामी लॉटरी का मेसेज आने पर कतई न खोलें। एनीडेस्क और टीम विवर एप मोबाइल में न इंस्टॉल करें। बिना जांच किए ऑनलाइन भुगतान न करें। आधार कार्ड, पैन कार्ड ऑनलाइन न शेयर करें। सिर्फ मान्यता प्राप्त ऑनलाइन साइट्स का ही इस्तेमाल करें। रकम पहुंची नहीं और हो गई ठगी पुलिस लाइन में रहने वाली सपना यादव ने अपने रिश्तेदार के खाते में फोन एप के जरिए दस हजार रुपये भेजे थे। लेकिन खाते से रकम कटने के बावजूद रिश्तेदार को नहीं मिली। इस दौरान एक कॉल आई और कॉलर ने खुद को फोन-पे कंपनी का कर्मचारी बताया। इसके बाद सपना को झांसे में लेकर खाते की डिटेल हासिल की और 20 हजार रुपये का चूना लगा दिया। एटीएम कार्ड की फोटो व्हॉट्सएप पर मंगा की ठगी जानकीपुरम निवासी मिथिलेश त्रिपाठी टिफिन का काम करती हैं। उन्होंने कारोबार बढ़ाने के लिए जस्ट डायल कंपनी से संपर्क किया। बुधवार को मिथिलेश के पास एक कॉल आई। कॉलर ने खुद को सैनिक बताया और 15 दिन के लिए 15 टिफिन भेजने का ऑर्डर दिया। साथ ही रकम देने के लिए मिथिलेश से एटीएम कार्ड की फोटो खींचकर व्हॉट्सएप पर मंगा ली। एटीएम कार्ड का फोटो भेजने के कुछ ही देर बाद उनके खाते से 12 हजार रुपये निकल गए।

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