लॉकडाउन ने स्टेशनरी के कारोबारियों की कमर तोड़ दी ,गोदामों में धरी रह गई 350 करोड़ रुपये की कॉपी-किताबें -लखनऊ

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लखनऊ में लॉकडाउन ने स्टेशनरी के कारोबारियों की कमर तोड़ दी है। साल के तीन महीनों में ही इनकी सर्वाधिक कमाई होती है। लेकिन इस साल लगता है कि कमाई के तीनों महीने लॉकडाउन में ही गुजर जाएंगे।

ऊपर से थोक कारोबारियों ने लगभग 350 करोड़ रुपये खर्च करके स्टॉक जुटाया था, वह धरा रह गया है। यानी स्टेशनरी को लॉकडाउन के कारण बेच नहीं पाए।

अमीनाबाद के गुईन रोड (झाऊ लाल पुल) पर ये स्टेशनरी थोक मार्केट है, जिसमें 450 से अधिक कारोबारी सीजनल कारोबार करते हैं। इस मार्केट से लगभग 250 किमी के दायरे के जिलों के रिटेल कारोबारी एवं स्कूल प्रबंधक स्टेशनरी खरीद फरोख्त करने आते हैं।
कारोबार में 10-10 करोड़ तक का किया है निवेश
अमीनाबाद की थोक मार्केट में लगभग 450 लोग स्टेशनरी का कारोबार करते हैं। इनमें कारोबारियोें के 10-10 करोड़ रुपये तक निवेश हैं, जिन्होंने बैंक से लोन ले रखा है। ऐसे कारोबारियों के बैंक लोन की किस्त चुकाने तक का संकट उत्पन्न हो गया है। वहीं गोदाम में कॉपी आदि का जो स्टॉक लगा उसके खराब होने का भी अंदेशा हो गया है। – विशाल गौड़, महामंत्री  स्टेशनरी विक्रेता एवं निर्माता एसोसिएशन उत्तर प्रदेश
नौ माह माल जुटाते और तीन माह बेचते हैं
स्टेशनरी विक्रेता एवं निर्माता तीन माह कमाकर साल भर खाते हैं। यानी साल के तीन माह माल बेचते और नौ माह माल को स्टॉक करने की गणित लगाते रहते हैं। विक्रेता एवं निर्माता दुकान व गोदाम में स्टेशनरी का स्टॉक जुटाते हैं। यह स्टेशनरी 80 फीसदी मार्च व अप्रैल और 20 फीसदी जुलाई में बिकता है। पर, इस साल मार्च व अप्रैल लॉकडाउन में चल गया।  – जितेंद्र सिंह चौहान, अध्यक्ष स्टेशनरी विक्रेता एवं निर्माता एसोसिएशन उत्तर प्रदेश
स्टेशनरी की दुकानें खुलवाने की मांग
अमीनाबाद के थोक कारोबारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से स्टेशनरी मार्केट खुलवाने की मांग की है। बिना कॉपी, किताब, पेंसिल, पेन आदि स्टेशनरी आइटम के ऑनलाइन पढ़ाई करना संभव नहीं है। कारोबारियों के गोदाम में रखा जो माल इस सीजन में नहीं बिका तो उनके  परिवार पूरे साल आर्थिक संकट का खामियाजा भुगतेंगे।  – रवि प्रकाश अग्रवाल, कारोबारी
कमाई एक धेला नहीं, खर्च हो रहा
लॉकडाउन के दौरान 20 मार्च से दुकानें बंद हैं। इनमें 90 फीसदी दुकानें कारोबारियों ने किराए पर ले रखी हैं। जिनका किराया, बिजली बिल, कारोबार में निवेश धनराशि पर बैंक को ब्याज आदि देना पड़ रहा है। कारोबारियों की 32 दिन में एक धेला कमाई नहीं हुई पर खर्च हो रहा है। कम पूंजी वाले कारोबारी अभी से परेशान हैं। – प्रवीण सिंह, थोक कारोबारी 

स्टेशनरी के आइटम
स्टेशनरी में कॉपी, किताब, ड्रॉइंग पेपर, बैग, कलम, पेंसिल, जॉमेट्री, कलर, पेंसिल बॉक्स, नेम स्लिप, कवर पेपर आदि आइटम आते हैं।

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