लखनऊ स्थित केजीएमयू के दो डॉक्टरों को बर्खास्त कर दिया गया है। विभिन्न आरोपों में पीडियाट्रिक सर्जरी व सीएफएआर विभाग के डॉक्टरों की सेवाएं खत्म कर दी गईं। गठिया रोग विभाग के अध्यक्ष के खिलाफ अनुशासनात्मक कमेटी गठित करने का फैसला किया गया है।
वहीं 2004 में समूह ग भर्ती धांधली के मामले में कोई फैसला नहीं लिया गया। जांच में छूटे विभिन्न बिन्दुओं पर विस्तृत रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। केजीएमयू के इतिहास में पहली बार एक साथ दो डॉक्टर बर्खास्त किए गए। यह फैसले सोमवार को केजीएमयू कार्य परिषद की बैठक में लिए गए। कार्य परिषद की 42 वीं बैठक बोर्ड रूम में हुई। बैठक की अध्यक्षता कुलपति डॉ. एमएलबी भट्ट की गई।
शोध परियोजना में दबाव का आरोप
केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. संदीप तिवारी के मुताबिक सीएफएआर विभाग में सह-आचार्य के पद पर तैनात डॉ. नीतू सिंह (नॉन मेडिकल) के खिलाफ 19 अक्तूबर 2019 को कार्य परिषद ने छह सदस्यीय अनुशासात्मक समिति गठित की थी। उन्हें कार्य परिषद ने अनुमोदित आरोप पहली जनवरी 2020 को जारी किया था। पर्याप्त अवसर के बाद भी जवाब नहीं दिया। समिति ने जांच आख्या में डॉ. नीतू सिंह को शोध परियोजनाओं से संबंधित कार्यों में अनुचित दबाव, अनियमितताओं का दोषी पाया। जांच रिपोर्ट के आधार पर उनकी केजीएमयू से सेवांए खत्म करने का फैसला लिया गया।
वित्तीय व प्रशासनिक अनियमितता का आरोप
पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉ. आशीष वाखलू की सेवाएं समाप्त कर दी गईं। इन्हें वर्ष 2010 सीपीएमएस स्थापित करने के लिए नोडल आफिसर तैनात किया गया था। इसमें प्रशासनिक व वित्तीय अनियमितता प्रकाश में आई। इसके लिए छह सदस्यीय अनुशासनात्मक समिति गठित की गई। कार्य परिषद के अनुमोदन के बाद 14 जून 2019 को आरोप पत्र जारी किया गया। पर्याप्त अवसर देने के बाद भी जवाब नहीं दिया। अनुशासात्मक समिति की जांच आख्या पर उन्हें केजीएमयू से सेवांए समाप्त करने का निर्णय लिया गया।