लखनऊ के मेधावियों ने बढ़ाया मान, शहर की शुभांगी की ऑल इंडिया 88 रैंक

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लखनऊ। UPSC CSE 2019 Result : आग जिसमे लगन की जलती है कामयाबी उसी को मिलती है। यह कहावत भारतीय प्रशासनिक सेवा 2019 में सफल मेधावियों पर एकदम सटीक है। कड़ी मेहनत और लक्ष्य के लिए दृढ़ संकल्प बलबूते इन सफल मेधावियों ने न सिर्फ अपने माता-पिता बल्कि पूरे शहर का मान बढ़ाया है। पेश है ऐसे ही सफल मेधावियों की बातचीत पर आधारित रिपोर्ट…

पिता के पद चिन्हों पर चल बन गई आइएएस (शुभांगी -88 रैंक)

अगर मंजिल को पाने के लिए इरादे मजबूत है तो निश्चित ही एक दिन सफलता कदम चूमती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया शहर की बेटी शुभांगीश्रीवास्तव ने। भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा में शहर के आशियाना स्थित पीडब्ल्यूडी कॉलोनी निवासी शुभांगीने (ऑल इंडिया रैंक) 88 रैंक हासिल कर देशभर में शहर का मान बढ़ाया है। शुभांगीने वाराणसी के सिगरा स्थित संदीन स्कूल से साल 2006 में हाईस्कूल और शहर के आशियाना सेक्टर आई स्थित एलपीएस से 2008 में इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद अपने लक्ष्य की ओर बढ़ चलीं। मां ममता गृहणी और पिता अरविंद कुमार श्रीवास्तव उत्तर प्रदेश ब्रिज कॉरपोरेशन में मौजूदा समय में प्रबंध निदेशक हैं।पिता के स्थानांतरण वाले जॉब के बावजूद भी शुभांगीके परिणामों पर तनिक भी असर नहीं पड़ा। अपने परिश्रम के बलबूते शुभांगीहर परिणाम में खुद को साबित करती रहीं।

इंटर के बाद शुभांगीने एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ से बीटेक किया। फिर इसके बाद इलाहाबाद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से एमटेक की पढ़ाई की। वह एमटेक गोल्ड मेडलिस्ट भी रहीं। उन्होंने सीएसआईआर नेट क्वालीफाई किया।इसके बाद शुभांगीप्रशासनिक सेवा की तैयारियों में जुट गई। कठिन परिश्रम का ही नतीजा रहा किस शुभांगीने शानदार प्रदर्शन करते हुए ऑल इंडिया 88 रैंक हासिल की। शुभांगीके बड़े भाई शशांक श्रीवास्तव गूगल में और छोटे भाई सृजन श्रीवास्तव गुड़गांव की कंपनी में कार्यरत हैं। शुभांगीअपनी सफलता का मंत्र क्रिएटिविटी, पॉजिटिविटी और परसूएरेंस मानती हैं। वह कहती हैं पढ़ाई के लिए मुहूर्त की जरूरत नहीं है। आप मेहनत से तैयारी करें, कामयाबी जरूर मिलेगी। उनका लक्ष्य है कि प्रशासनिक सेवा में रहकर वह शिक्षा के क्षेत्र में कुछ अलग और बेहतर करें जिससे समाज की प्रगति हो।
वह कहती हैं कि आइएएस की तैयारी के साथ करियर के दूसरे विकल्प पर भी फ़ोकस करते चलें। उन्होंने कहा कि आईआईटी दिल्ली से पीएचडी के साथ-साथ यूपीएससी की तैयारी कर रही थी। जिसकी वजह से पढ़ाई में बहुत ज्यादा स्ट्रेस पड़ गया था। यही कारण था कि दो प्रयास में यूपीएससी क्लीयर नहीं हो पाया। इसके बाद 2018 में पढ़ाई से ब्रेक लेकर यूपीएससी की कोचिंग की और यूपीएससी मेंस क्वालिफाई किया। उनका मानना है कि इंटरव्यू में आपकी पर्सनालिटी देखी जाती है। जो भी बायोडाटा आप देते हैं सवाल उससे रिलेटेड ही होते हैं। इसके लिए उन्होंने काफी तैयारी की।

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