स्टॉक लिमिट लागू किए जाने पर व्यापारी नाराज हैं और वे इसे सरकार से वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उनका मानना है कि गल्ला कारोबारी, दाल मिलर्स, ट्रेडर्स और इंपोर्टर आदि पर स्टॉक लिमिट लागू किया जाना गलत है। व्यापारी इसे लेकर विरोध जता रहे हैं। उनका कहना है कि इससे साफ तौर पर भ्रष्टाचार और अधिकारियों की मनमानी बढ़ेगी।
नान ब्रांडेड पर तो जीएसटी भी नहींः व्यापारियों का कहना है कि नान ब्रांडेड दाल चावल के कारोबार पर तो जीएसटी भी नहीं है। बावजूद स्टॉक लिमिट कानून व्यापारियों पर थोपा जाना गलत है। इससे व्यापारियों का उत्पीडऩ बढ़ेगा।
किसी एजेंसी के लाइसेंसी तक नहीं फिर भी स्टॉक लिमिटः व्यापारियों ने बताया कि नान ब्रांडेड आइटम में ज्यादातर खाद्यान्न आते हैं। ऐसे में स्टॉक लिमिट लागू किया जाना बेमानी है। व्यापारियों का मानना है कि न तो वे मंडी के लाइसेंसी हैं और न ही आरएफसी रीजनल फूड कंट्रोलर के दायरे में आते हैं। ऐसे में यह कानून सिर्फ व्यापारियों के उत्पीडऩ का कारक बनना तय है।