राजधानी की थोक दवा दुकानों का कारोबार बंद रहेगा। चार दिन तक व्यवसाई अवकाश पर रहेंगे। ऐसे में फुटकर दवा विक्रेताओं ने दवा का स्टॉक कर लिया है। इन पर मरीजों को सामान्य तरह से दवा उपलब्धता का दावा किया गया।
लखनऊ में 4,800 फुटकर दवा विक्रेता हैं। वहीं, 3,491 थोक दवा विक्रेता हैं। यहां से शहर के साथ-साथ आस-पास के जनपदों को दवा आपूर्ति होती है। हर रोज कोरोड़ों का दवा व्यापार है। 30 दिसंबर से दो जनवरी तक थोक दवा की दुकानें बंद रहेंगी।
केमिस्ट एसोसिएशन के प्रवक्ता विकास सिंह के मुताबिक, दवा कारोबारी वर्षभर लगातार काम करते हैं। इस लिए हर वर्ष पांच दिन ठंड में थोक दवा बाजार बंद रखी जाती है। वहीं, कोरोना काल की वजह से इस बार चार दिन ही थोक दवा व्यवसाइयों ने बंदी का फैसला किया है। इस दौरान फुटकर दवा विक्रेताओं ने सभी दवाओं का पर्याप्त स्टॉक कर लिया है। मरीजों को किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं होगी। संबंधित दवाओं की उपल्ब्धता बरकरार रहेगी। वहीं, आवश्यकता पड़ने पर थोक दुकानें खोल करके भी आपूर्ति को बहाल किया जा सकता है। पहले से ही सभी फुटकर दुकानों को शीतकालीन अवकाश की जानकारी दे दी गई है, ताकि वह जरूरी दवाएं मंगा लें। ऐसे में अब तीन जनवरी को थोक दवा दुकानें पहले की तरह खुलेंगी।