ATS की कस्टडी रिमांड पर चल रहे लखनऊ से पकड़े गए आतंकी मिनहाज और मसीरुद्दीन क्रैश कोर्स के बारे में जानकारी दी है
ATS की कस्टडी रिमांड पर चल रहे लखनऊ से पकड़े गए आतंकी मिनहाज और मसीरुद्दीन क्रैश कोर्स के बारे में जानकारी दी है।
उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में पैर पसार रहे अलकायदा के अलग-अलग मॉड्यूल और उनके काम करने के तरीकों की एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई है। प्रदेश के खिलाफ चल रही आतंकी साजिश में यहीं के युवाओं को किस तरह इस्तेमाल किया जा रहा यह रिपोर्ट का मुख्य बिंदु है। रिपोर्ट के आधार पर मंत्रालय की रिसर्च विंग इसकी रोकथाम के लिए रणनीति बनाएगी।
यूपी पुलिस और खुफिया एजेंसियों को मिली जानकारियों के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है। इसमे अभी तक यूपी से पकड़े गए आतंकी संगठनों के सदस्यों के बयानों को शामिल किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली और केरल में अलकायदा ने अपने Al-Qaida in indian subcontinent (AQIS) नेटवर्क को फिर से सक्रिय करना शुरू किया है। लेकिन इस बार उसने अपना तरीका बदल दिया है।
सीमाओं पर सुरक्षा बलों की कड़ी चौकसी को देखते हुए बाहर से हथियार लाने की बजाय इन्हीं युवाओं को घातक बम और अन्य हथियार बनाना सिखा रहा है। युवाओं को आतंकवाद के रास्ते पर धकेलने के लिए क्रैश कोर्स चलाया जा रहा है। इसमे युवाओं को कई स्तर पर परखने के बाद उनकी भर्ती की जा रही है।
रिमांड पर चल रहे आरोपियों ने बताए आतंक के चैप्टर
ATS की कस्टडी रिमांड पर चल रहे लखनऊ से पकड़े गए आतंकी मिनहाज और मसीरुद्दीन क्रैश कोर्स के बारे में जानकारी दी है। पूछताछ में दोनों ने बताया कि अलकायदा के भारतीय हैंडलर, गिरोह में शामिल करने से पहले युवाओं को कुछ खास अध्याय पढ़ाते हैं। इनमें में पास होने पर ही अलकायदा में भर्ती करते हैं। मिनहाज और मसीरुद्दीन उर्फ मुशीर भी इन्हीं अध्याय का क्रैश कोर्स करके पासआउट हुए थे।
यह हैं अलकायदा का आतंकी क्रैश कोर्स
पर्सनल चैटिंग: इसमें सोशल मीडिया पर एक्टिव युवाओं से फेसबुक मैसेंजर, टेलीग्राम और वॉट्सऐप जैसे प्लेटफॉर्म्स पर पर्सनल चैटिंग की जाती है। इसमे उनकी आर्थिक स्थिति, पारिवारिक स्थित और इस्लाम के प्रति कट्टरता जैसी मानसिकता का आकलन किया जाता है।
माइक्रो कम्युनिटी: इसमें आतंक की दुनिया में पहला कदम रख रहे युवाओं को उन लोगों की जानकारी दी जाती है, जो गिरोह में पहले से सक्रिय हैं। फिर हैंडलर द्वारा इसका परिचय “भाई जान” बताकर कराया जाता है। इसके बाद धीरे-धीरे उन्हें जेहाद के रास्ते पर आने को प्रेरित किया जाता है।
पर्सनल कॉन्टेक्ट: दोनों स्टेप पर भरोसेमंद साबित होने वाले युवाओं से पर्सनल कांटेक्ट किया जाता है। कसौटी पर खरा उतरने के बाद हैंडलर के गुर्गे नए युवाओं को मिलने के लिए बुलाते हैं। फिर इन्हें एक टास्क दिया जाता है। टास्क में पास होने पर हैंडलर इनसे वीडियो कॉल से रूबरू होता है।
कंडक्टिंग ऑपरेशन: वीडियो कॉल से रूबरू बाद हैंडलर युवाओं को उनका मकसद बताते हैं। किसी घटना को कब, कैसे, कहा अंजाम देना है इसकी जानकारी देते हैं। साथी ही इन युवाओं को दो-दो नए ऑपरेटिव तैयार करने का टास्क भी दिया जाता है। इस स्टेप को कंडक्टिंग ऑपरेशन कहा जाता है।
AQIS अनेबल्ड: सभी कसौटियों पर खरा उतरने के बाद आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुके युवाओं को AQIS अनेबल्ड कहा जाता है। पूछताछ में मिनहाज और मसीरुद्दीन ने बताया कि पाकिस्तान में बैठे हैंडलर उमर हलमंडी से दोनों की पहली मुलाकात ऑनलाइन ही हुई थी जिसके बाद उसने दोनों को कई स्तर पर जांचा-परखा और फिर भरोसा होने पर ऑपरेशन को अंजाम देने का आदेश दिया था।