मदरसों के बाद अब वक्फ की संपत्तियों की भी होगी जांच

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उत्तर प्रदेश में मदरसों के सर्वे को लेकर अभी बवाल कम भी नहीं हुआ है कि योगी सरकार एक और बड़ा बड़ा निर्णय लेने जा रही है। दरअसल, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार राज्य में वक्फ की संपत्तियों की भी जांच कराएगी। योगी सरकार का यह अपने आप में बड़ा फैसला है। इसको लेकर योगी सरकार ने 1989 के वक्फ के शासनादेश को भी रद्द कर दिया। योगी सरकार का मानना है कि यह  अध्यादेश गलती से 33 साल पहले जारी हो गया था। लेकिन अब सरकार उसे गलती को सुधारने जा रही है। योगी सरकार का साफ तौर पर मानना है कि 1989 के बाद वह में शामिल संपत्तियों की जांच की जानी चाहिए और इसके लिए तैयारी शुरू की जा चुकी है।

बताया जा रहा है कि योगी सरकार की ओर से जांच एक माह में पूरा करने का निर्देश सभी जिलों को जारी कर दिए गए हैं। शासन के उप सचिव शकील अहमद सिद्धकी की ओर से राज्य के सभी कमिश्नर और डीएम को पत्र लिखा गया है। पत्र में लिखा गया है कि वक्फ अधिनियम 1995 तथा उत्तर प्रदेश मुस्लिम वक्फ अधिनियम 1960 में वक्फ की संपत्तियों को पंजीकरण कराने के प्रावधान के बावजूद नियमों की अनदेखी की गई है। ऐसे में इस गलती को सुधारने की आवश्यकता है। सभी डीएम और कमिश्नर से कहा गया है कि 7 अप्रैल 1989 से अभी तक जितनी भी संपत्तियां वक्त में दर्ज कराई गई है उनकी नए सिरे से जांच हो और जमीनों का करंट स्टेटस दर्ज किया जाए। 

सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि कब्रिस्तान, मस्जिद और ईदगाह की भी जमीनों का सही-सही आकलन किया जाए। योगी सरकार यह मानती है कि मुस्लिम वक्फ अधिनियम 1960 के तहत किसी भी वक्फ संपत्ति का पंजीकरण स्वत: नहीं हो सकता है। कुल मिलाकर देखें तो फिलहाल योगी सरकार इसको लेकर एक्शन में है। सभी को 8 अक्टूबर तक पूरा करने का समय भी दिया गया है। विपक्ष का साफ तौर पर कहना है कि हम सर्वे के खिलाफ है। पहले मदरसों के सर्वे को लेकर उत्तर प्रदेश में बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा था। तो वहीं अब नया बवाल शुरू हो गया।

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