मौलाना जव्वाद व अमीर हैदर ने किया उद्घाटन , ‘जब जबां पर मुहम्मद का नाम आ गया….’

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नातिया मुकाबले में की लगभग डेढ़ सौ बच्चों-नवयुवाओं ने शिरकत
लखनऊ, ‘तवारीख में हजरत अबू तालिब से बड़ा कोई नातगो नहीं। मक्के में जब तीन साल बारिष नहीं हुई तो लोग हजरत अबू के पास पहुंचे और वे अगली सुबह अपने भतीजे के साथ दुआ करने पहुंचे। इधर हज़रत अबू ने रसूल का वास्ता दिया और उधर बारिष होने लगी।’
यह बयान मौलाना कल्बे जवाद ने यहां चिनहट में हजरत सैयद षहीद मीरा षाह पहलवान बाबा दरगाह में कांग्रेस नेता अमीर हैदर के साथ नातिया मुकाबले का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किए। यहां उन्होेंने कहा कि ऐसे प्रोग्रामों में हमें अपने बच्चों के साथ जरूर षिरकत करनी चाहिए। इससे अगली पीढ़ी की दीनी तालीम भी चलती रहती है। अमीर हैदर ने कहा कि इस तरह के मुकाबले हमें नेकी की राह और हक के लिए आवाज उठाना सिखाते हैं। हक पे चलने वाले कभी अपना रास्ता नहीं बदलते। उन्होंने कहा कि ये दरगाहों की देन है कि देष में फिरकापरस्ती कभी पनप नहीं पाई।
सज्जादानषीं सैयद मोहम्मद अतीक षाह के संयोजन, सनी खान के सह संयोजन, फिजा इब्राहिम व षगुफ्ता कमर की निजामत में चले और कारी अब्दुल कलाम की कुरआनख्वानी से षुरू हुए नातिया मुकाबले में मदरसा इस्लामिया सहित अनेक मदरसों के डेढ़ सौ से ज्यादा विद्यार्थियों ने यहां मंच पर कलाम पढ़े। कहकषां वसीक ने- तमन्ना मुद्दतों से है…., खुषबू खान ने- मरहबा वो नूर वाला आ गया…., सना खान ने- हस्बी रब्बी जल्लाह….., सादिका ने- जब जबां पर मुहम्मद का नाम आ गया, नौषीन ने- नूर से अपने सरवरे आलम……और बालकों में अयाज सिद्दीकी ने- बनाई क्या खुदा ने ऐसी सूरत थी मुहम्मद की….. जैसे नात सस्वर रवायती अंदाज़ में पढ़े। इनमें बालिकाओं में सैयद समरीन काजमी ने पहला, कहकषां अंजुम ने ने दूसरा और फौजिया मंसूरी ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। फैसले की जिम्मेदारी मौलाना मुहम्मद सिराजुल हक़ और मौलाना मंजरुल कादरी ने सम्भाली। पहला स्थान पाने वाले बालिका और बालक वर्ग के विजेताओं की पूरे साल की फीस दरगाह कमेटी वहन करेगी। आज षाम विजेताओं को मुख्यअतिथि के तौर पर पूर्व डीजीपी रिजवान अहमद, पूर्व प्रषासनिक अधिकारी अनीस अंसारी, डीआईजी सीआरपीएफ एस.ए़म.हसनैन, फिल्मी गीतकार अनवर सागर, नवाब मसूद अबदुल्लाह, मेराज हैदर और डा.अतहर काजमी आमंत्रित थे। अतिथियों ने पुरस्कृत करने के साथ हौसला अफजाई की। अतिथियों ने कहा कि आज के दौर में जरूरी है कि हम व्यक्ति की अच्छाइयों को देखकर सीखें और विपरीत हालात में भी सकारात्मक नजरिया रखें। सकारात्मक दृश्टिकोण ही हमारी जीत का रास्ता बुलंद करता है।

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