गलवां घाटी में हुई झड़प के बाद पहली बार सोमवार को भारत और चीन के उच्च सैन्य कमांडरों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति को सामान्य करने के लिए चर्चा हुई। इसी बीच सोमवार रात को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तीन दिनों के दौरे पर मॉस्को पहुंच गए हैं।वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर मंगलवार को रूस, भारत और चीन (आरआईसी) के विदेश मंत्रियों की एक आभासी बैठक में हिस्सा लेंगे। गलवां घाटी में हुई झड़प के बाद यह पहली बार होगा जब विदेश मंत्री अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ आमने-सामने बैठक करेंगे। बता दें कि लद्दाख में हुई झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए जिसमें कर्नल संतोष बाबू भी शामिल हैं।
दिल्ली से मॉस्को के लिए रवाना होने से पहले राजनाथ सिंह ने ट्विटर पर लिखा, ‘तीन दिनों के दौरे पर मॉस्को जा रहा हूं। रूस की यात्रा से मुझे भारत-रूस रक्षा और रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने के तरीकों पर बातचीत करने का अवसर मिलेगा। मैं मास्को में 75वें विक्टरी डे परेड में भी शामिल होउंगा।’
चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगहे की भी 24 जून को मॉस्को में होने वाली सैन्य परेड में उपस्थित होने की संभावना है। इस परेड को द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी पर सोवियत संघ को मिली जीत की खुशी में मनाया जाता है। इस साल जीत की 75वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। अन्य देशों की सेनाओं के साथ परेड में भारतीय और चीनी सैनिक भी हिस्सा ले रहे हैं।माना जा रहा है कि राजनाथ रूसी रक्षा के उच्च अधिकारियों से मिलेंगे और आने वाले महीनों में रक्षा उपकरणों की आपूर्ति की समीक्षा करेंगे। रूसी उप प्रधानमंत्री यूरी बोरिसोव और रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू के साथ चर्चा के दौरान वे एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली के वितरण के मुद्दे को उठा सकते हैं।वहीं आरआईसी के जरिए जयशंकर और वांग यी आमने-सामने आएंगे। इसके तनाव के दौरान रणनीतिक संचार का एक मंच बनने की आशंका है। इससे पहले 27 फरवरी 2019 को तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आरआईसी की बैठक के लिए चीन के वुजेन की यात्रा की थी।
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