मोती महल लान में हुआ 18वें राष्ट्रीय पुस्तक मेले का समापन

0
419
18वें राष्ट्रीय पुस्तक मेले का समापन
18वें राष्ट्रीय पुस्तक मेले का समापन

लखनऊ, 10 अक्टूबर। मोती महल वाटिका लॉन में पहली तारीख से चल रहे 18वें राष्ट्रीय पुस्तक मेला यादगार आयोजनों के साथ समाप्त हो गया। अंतिम दिन आज खूब भीड़ रही। मेले की लगभग 25 प्रतिशत आज अकेले एक दिन में हुई। मेला आज एक विशाल उत्सव सरीखा लग रहा था।
मेला संयोजक मनोज चंदेल व सह संयोजक आस्था ढल ने बताया कि मेले में लगभग 85 लाख रुपये के कारोबार का आकलन है। कोविड-19 का संक्रमण सीमित था। फिर भी मेले को लेकर पुस्तक प्रेमियों में बहुत उत्साह देखने को मिला। मेले में 90 फीसदी आगंतुक खास किताबों के लिए ही आये, उन्होंने किताबें ही खरीदीं स निदेशक आकर्ष व आकर्षण जैन ने बताया कि बच्चों की किताबें इस बार पिछले मेलों के मुकाबले ज्यादा बिकीं।


मेले के आज के कार्यक्रमों में साहित्य आराधन संस्था के सौजन्य से डा.अमिता दुबे के कथा संग्रह संभावना के जुगनू का विमोचन करते हुए लेखिका कें संग ही मनीष शुक्ल, महेन्द्र भीष्म, डा.डीएस शुक्ल, सुषमा गुप्ता, अलका प्रमोद ने विचार व्यक्त किये। विद्वानों ने यहां पुस्तक एकांतवासी शत्रुघ्न पर भी चर्चा की। साथ ही बेनजीन की पुस्तक डिवोर्सी की विमोचन हुआ। इससे पहले लक्ष्य की ओर से काव्य समारोह का आयोजन किया गया। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष्य में एमिटी यूनिवर्सिटी की सहायम प्रो.अंशुमा दुबे ने श्रोताओं को बहुत सारे टिप्स देते हुए बताया कि हमें किसी के लिए भी पागल या बेवकूफ जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
सांस्कृतिक मंच पर आयोजित सम्मान समारोह में डा.ऐ.के.सिंह, रतनमणि लाल, केपी सिंह, मनोज सिंह चंदेल व मुरलीधर आहूजा ने शहर की हस्तियों को प्रोग्रेसिव यूपी अवार्ड से नवाजा। इन सम्मानित हस्तियों में एसीपी डा.अर्चना सिंह, वेंकट, सुधांशु रस्तोगी, डा.हिमंाशु कृष्णा, अंकुश अरोड़ा, डा.आरके ठकराल, डा.कुमुदनी चैहान, अग्रज अग्रवाल, वीके श्रीवास्तव, डा.नवनीत त्रिपाठी, चिरंजीवनाथ सिन्हा, डा.संदीप कुमार, डा.आशीषकुमार खरे, अमित शर्मा, डा.कंचन श्रीवास्तव, रुचि शर्मा, डा.मोहन बत्रा, डा,वैशाली जैन, डा.प्रची श्रीवास्तव, डा.विकास कुमार, डा.मनोज सिंह, डा.प्रियंका सिंह, विवके सिंह, अनामिका पाण्डेय, डा.विनयराज व अंकुर चतुर्वेदी आदि को स्मृति चिह्न, प्रमाणपत्र व उपहार इत्यादि देकर सम्मानित किया गया। आयोजन लखनऊ ट्रिब्यून की ओर से था। पुस्तक मेला समिति की ओर से भी प्रतिभागियों और मेला सहयोगियों को स्मृति चिह्न प्रदान किये गये। विश्वम फाउण्डेशन के मेले में हुए आयोजनों के प्रतिभागियों को और ज्योति किरन रतन के संयोजन में हुई आनलाइन प्रतियोगिताओं के लगभग 60 बाल युवा प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किये गये।
सुबह साहित्य पाठ प्रतियोगिता में युवाओं का उत्याह दिखाई दिया। इसके साथ ही प्रसिद्ध कथाकार-संपादक अखिलेश की संपूर्ण कहानियों का विमोचन कार्यक्रम संपन्न हुआ।

राजकमल प्रकाशन समूह के स्टाल पर नरेश सक्सेना, वीरेन्द्र यादव, शिवमूर्ति, अखिलेश, अनिल त्रिपाठी और नलिन रंजन सिंह ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए। वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना ने अखिलेश को शुभकामनाएँ दीं। उनकी कई कहानियों का जिक्र किया और उनके उपन्यास ‘निर्वासन’ की भी चर्चा की। उन्होंने अखिलेश को अपने समय का बेहद महत्वपूर्ण लेखक बताया। उन्होंने उनकी कहानी कला के कई बिंदुओं को रेखांकित किया। आलोचक वीरेंद्र यादव ने ‘संपूर्ण कहानियाँ’ के विमोचन को एक तरह से अखिलेश के कहानीकार के उपन्यासकार के रूप में परिवर्तन के रूप में देखा। उन्होंने यह भी बताया कि अखिलेश एक नया उपन्यास लिख रहे हैं और अब उसी दिशा में लगातार उनके सक्रिय रहने की संभावना है। संपूर्ण कहानियाँ का प्रकाशन इसी संभावना का प्रतिफल भी है। अपने लेखकीय वक्तव्य में अखिलेश ने कहा कि अब जब मैं कोई कहानी लिखने की कोशिश करता हूँ तो उसका वितान इतना बड़ा हो जाता है कि वह औपन्यासिक शिल्प में ढलने लगती है। कहानीकार शिवमूर्ति ने अखिलेश को अपने समय का बेहद महत्वपूर्ण कथाकार बताया। राजकमल प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक अशोक माहेश्वरी ने आभार जताया। वरिष्ठ पत्रकार सुभाष राय, अरुण सिंह, कथाकार वीरेंद्र सारंग, दिव्या शुक्ला, विजय पुष्पम पाठक, पूर्वा नरेश, विजय प्रताप सिंह, राकेश मिश्र, अमिताभ राय, आशीष सिंह, दीपक श्रीवास्तव सहित तमाम साहित्य प्रेमी मौजूद थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here