पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की आशंका को देखते हुए उ.प्र. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सोमवार को विद्युत नियामक आयोग में जनहित याचिका दायर की। याचिका के माध्यम से मांग की है कि निजी क्षेत्र की विफलताएं सामने आने के बाद भी राज्य के दूसरे डिस्काम के निजीकरण की कोशिशों पर रोक लगाई जाए। आयोग ने परिषद की याचिका पर पावर कारपोरेशन से एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने याचिका के माध्यम से यह मुद्दा उठाया है कि जांच में यह खुलासा हो सका है कि निजी क्षेत्र की कंपनी टोरेंट पावर कंपनी ने करीब 2221 करोड़ रुपये पुराना बकाया अभी तक दबा रखा है। एटीएंडसी हानियां 15 फीसदी पर नहीं आ सकी है। कंपनी ने रेग्यूलेटरी सरचार्ज का करोड़ों रुपये दबा लिया। इसके साथ ही बिजली कंपनी 5.26 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदकर टोरंट पावर को 4.24 रुपये प्रति यूनिट में बेच रही है, जिससे हर साल 162 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। इन गलतियों का खामियाजा बिजली दर के रूप में उपभोक्ता भुगत रहे हैं। इसके बाद भी दूसरे डिस्काम पूर्वांचल के निजीकरण की साजिश जनविरोधी है। मांग की है कि आयोग हस्तक्षेप कर इस कोशिश को रोके। याचिका में बताया है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण ने नियामक आयोग में दाखिल अपने बिजनेस प्लान में अगले पांच वर्षों में व्यापक सुधार के लिए 8801 करोड़ रुपये खर्च होना प्रस्तावित किया है, यह भी कहा है कि सुधार की योजनाओं पर काम शुरू कर दिया गया है। इसके बाद भी जनहित में उसे निजी घरानों को सौंपने की साजिश किया जाना अनुचित है। अवधेश वर्मा ने बताया है कि उनके जनहित याचिका पर नियामक आयोग के सचिव संजय कुमार सिंह ने पावर कारपोरेशन से सात दिन के अंदर जवाब मांगा है।