Parliament में भारी हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही स्थगित

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कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की टिप्पणी को लेकर उठा विवाद थम नहीं रहा है और इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष एवं कांग्रेस सदस्यों के परस्पर आरोप-प्रत्यारोप एवं हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
संसद के मानसून सत्र के 10वें दिन भी भारी हंगामे के चलते गतिरोध कायम रहा। ऐसे में दोनों सदनों की कार्यवाही को 1 अगस्त सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। सदन में सोनिया गांधी माफी मांगो के नारे जमकर गूंजे। राज्यसभा में विपक्षी सांसदों के साथ-साथ सत्ता पक्ष के सदस्यों ने भी जमकर नारेबाजी की। फर्क सिर्फ इतना था कि विपक्ष के सदस्यों ने आसन के समीप आकर हंगामा किया जबकि सत्ता पक्ष के सदस्यों ने अपने स्थान पर खड़े होकर नारेबाजी की।
विपक्षी सदस्य अपने कुछ साथियों का निलंबन रद्द करने, गुजरात में जहरीली शराब से कई लोगों की मौत होने, महंगाई और अन्य मुद्दों पर तत्काल चर्चा की मांग कर रहे थे। पीठासीन उपाध्यक्ष ने हंगामा कर रहे सदस्यों से बार-बार अनुरोध किया कि वे अपने स्थानों पर लौट जाएं और प्रश्नकाल चलने दें। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल में कई महतवपूर्ण प्रश्न हैं, जो जनता के लिए उपयोगी हैं। उन्होंने कई बार सदस्यों से कहा कि वे प्रश्नकाल को बाधित ना करें और अपने स्थानों पर लौट जाएं ताकि सदन में कामकाज हो सके।
इसी बीच संसद परिषद में अधीर रंजन चौधरी ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि कल मुझे संसद में मेरे खिलाफ तमाम आरोपों का जवाब देने का मौका नहीं दिया गया था। जिस तरह से कल संसद में सोनिया गांधी पर निशाना साधा गया… सरकार को माफी मांगनी चाहिए। इस मामले में मैं केंद्र में हूं लेकिन भाजपा सोनिया गांधी पर हमला कर रही है।
अधीर रंजन चौधरी की टिप्पणी को लेकर उठा विवाद थम नहीं रहा है और इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष एवं कांग्रेस सदस्यों के परस्पर आरोप-प्रत्यारोप एवं हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे बैठक शुरू हुई तो पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत कराए। इस दौरान भाजपा सदस्यों ने सोनिया गांधी माफी मांगो के नारे लगाए। पीठासीन सभापति अग्रवाल ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर बैठने और कार्यवाही चलने देने की अपील की।
सरकार ने कहा कि भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक-2022 के अनुसार हर जिले में कम से कम एक जिला अस्पताल होना चाहिए। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने लोकसभा में प्रताप सिन्हा और तेजस्वी सूर्या के प्रश्न के लिखित उत्तर में जो आंकड़े दिए उनके अनुसार देश में 2014-15 से 2020-21 तक जिला अस्पतालों की संख्या में केवल एक की वृद्धि हुई। मांडविया ने कहा कि आईपीएचएस 2022 के अनुसार प्रत्येक जिले में कम से कम एक जिला अस्पताल होना चाहिए जो मध्यम स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के लिहाज से सक्रियता से संचालित हो।
इस पर भारती पवार ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, बच्चों में सार्स-सीओवी-2 का संक्रमण वयस्कों के मुकाबले कम गंभीर होता है। उनके मुताबिक, इस साल 26 जुलाई तक, 12-18 वर्ष की आयुवर्ग के बच्चों को 9.96 करोड़ पहली खुराक (82.2 प्रतिशत कवरेज) और 7.79 करोड़ दूसरी खुराक (64.3 प्रतिशत कवरेज) दी जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों का टीकाकरण अभी आरंभ नहीं हुआ है।
गौरतलब है कि 18 जुलाई को मानसून सत्र शुरू होने के बाद से विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण उच्च सदन में लगातार गतिरोध बना हुआ है और गतिरोध कम थमने इसकी अभी कोई संभावना नहीं दिखाई दे रही है।

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