चीन के खिलाफ दिल्ली के व्यापारियों में जबरदस्त आक्रोश है। व्यापारियों ने चीनी सामान के बहिष्कार की अपील की है। इस बाबत व्यापारियों ने प्रधानमंत्री के नाम एक पत्र भी लिखा है जिसमें कहा गया है कि चीन को आर्थिक क्षति पहुंचाने के लिए भारत सरकार के हर निर्णय का समर्थन करेंगे।
भारत में थोक वस्त्र व्यापारियों की प्राचीनतम संस्था दिल्ली हिंदुस्तान मर्केन्टाइल एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि कोरोना महामारी की विषम परिस्थितियों में व्यापारी वर्ग सरकार के साथ है। एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुण सिंहानिया ने बताया कि हर तरीके के चीनी सामान का बहिष्कार होना चाहिए।
चीनी वस्तुओं का आयात एवं निर्यात बंद होना चाहिए। टेक्सटाइल ही नहीं खिलौना, लेदर का सामान, कॉस्मेटिक, सजावटी सामान और यहां तक कि हेल्थ प्रोडक्ट पर भी पाबंदी लगनी चाहिए। फेडरेशन ऑफ सदर बाजार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष परमजीत सिंह पम्मा ने कहा है कि केंद्र सरकार को इस बार ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। पूरे देश का व्यापारी वर्ग प्रधानमंत्री के निर्णय का इंतजार कर रहा है।
ऑटोमोटिव एंड जनरल वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष निरंजन पोद्दार ने कहा कि आवेश में आकर चीन के सामान का बहिष्कार नहीं करेंगे। जो सामान आ चुका है उसे खरीदेंगे भी और बेचेंगे भी क्योंकि आयत हुए सामान का पैसा चीन जा चुका है। उसके बाद अपना व्यापारिक रिश्ता खत्म कर देंगे।
चीनी एप को डिलीट कर जताया विरोध
चीन के खिलाफ आम लोगों में भी आक्रोश देखने को मिल रहा है। रोहिण सेक्टर-6 आरडब्ल्यूए के पदाधिकारी अतुल सिंघल के नेतृत्व में कई लोगों ने मोबाइल फोन से एप डिलीट करने के साथ ही भविष्य में चीनी सामान का उपयोग न करने की शपथ ली।
हरियाणा प्रान्त के गौसेवा प्रमुख प्रो सुरेश चंद सिंघल ने कहा कि हर कीमत पर स्वदेशी अपनाने की आवश्यकता है तभी देश आत्मनिर्भर बनेगा और प्रधानमंत्री का सपना साकार होगा। मुखर्जी नगर में बाल संस्कारशाला का आयोजन करने वाली निरूपमा का कहना है कि बच्चों को स्वदेशी पाठ पढ़ाना बेहद आवश्यक हैं।