हमारा आयुष्मान कार्ड वापस ले लो। ये हमारे किसी काम का नहीं है। इसकी वजह से राष्ट्रीय आरोग्य निधि से भी इलाज के लिए पैसा नहीं मिल पा रहा है। ये कहना है दिल्ली एम्स में उपचाराधीन उन मरीजों का, जिनके इलाज में पांच लाख रुपये से भी ज्यादा का खर्चा आना है।
मरीज मोहम्मद अलाउद्दीन ने बताया कि उनकी बेटी को ब्लड कैंसर और इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड का भी कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। एम्स के डॉक्टरों ने सात लाख रुपये का खर्च बताया है, जबकि इस कार्ड से पांच लाख रुपये का ही इलाज संभव है।
डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि जिनके पास ये कार्ड है, उन्हें राष्ट्रीय आरोग्य निधि से भी कोई मदद नहीं मिल सकती है। ठीक ऐसी ही कहानी एप्लास्टिक एनीमिया पीड़ित 17 वर्षीय पंकज की है। उनके इलाज में 12 लाख रुपये का खर्चा आना है, जो आयुष्मान भारत योजना से उन्हें नहीं मिल सकता है।
डॉक्टरों का कहना है कि राष्ट्रीय आरोग्य निधि (आरएएन) से मरीज को 15 लाख रुपये मिल सकते हैं। क्योंकि ये बीपीएल कार्ड धारक हैं। मरीजों ने इसे लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना के सीईओ डॉ. इंदु भूषण को भी पत्र लिखा है।
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