लखनऊ : बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद मायावती ने शनिवार को एक बार फिर हमला बोलते हुए कहा कि अब जबकि लोकसभा का आमचुनाव नज़दीक आ गया है तो केन्द्र व उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार को विभिन्न योजनाओं के शिलान्यास की सूझी है हालाँकि इस प्रकार के चुनावी फैसलों को आमजनता इन्हें छलावा के रूप में ही देखती है और इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आज आज़मगढ़ में ’’पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे’’ की आधारशिला रखी गयी है, जबकि ’’जेवर अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा’’ सहित ग्रेटर नोएडा से बलिया तक 8-लेन वाली ’’गंगा एक्सप्रेस-वे’’ आदि की रूपरेखा बी.एस.पी. की सरकार में ही तैयार करके इस पर आधारभूत काम भी शुरू कराया गया था, यह सभी जानते हैं। इसी क्रम में ’’ताज एक्सप्रेस-वे’’ का पूरा काम बी.एस.पी. सरकार में ही पूरा किया गया था। हालांकि बाकी इन सब कार्यों को भी काफी हद तक बी.एस.पी. की सरकार में ही पूरा किया जा सकता था, यदि उस समय की केन्द्र की कांग्रेसी सरकार इन सब कार्यों को करने के लिये हमें एन.ओ.सी. दे देती, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। यह सभी जानते हैं।
मायावती ने कहा कि चुनावी आश्वासनों व कोरी राजनीतिक बयानबाज़ियों से उत्तर प्रदेश का पिछड़ापन व यहाँ के लोगों की जबर्दस्त ग़रीबी, कुण्ठा पैदा करने वाली बेरोज़गारी व महंगाई की मार कम होने वाली नहीं है, बल्कि इसके लिये योजनाबद्ध तरीके से लगातार पूरी लगन व ईमानदारी के साथ काम करने की जरूरत है, जो इच्छाशक्ति बीजेपी की केन्द्र व राज्य सरकारों में जनता को कतई भी दिखाई नहीं पड़ रही है।
जबकि उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र के समुचित विकास के लिये बी.एस.पी. की सरकार ने सबसे पहले वहाँ की प्रशासनिक इकाइयों का पुनर्गठन किया और इस क्रम में मिर्ज़ापुर व बस्ती को सन् 1997 में अपने दूसरे शासनकाल में ही नया मण्डल बनाया व चन्दौली को नया ज़िला बनाया तथा दर्जनों नये तहसील भी बनाये। इतना ही नहीं बल्कि पूर्वांचल का विकास सुचारू रूप से करने के लिए केन्द्र सरकार से लगभग 36 हजार करोड़ रूपये की योजना बनाकर ’विशेष आर्थिक पैकेज’ की माँग की तथा इस पिछड़े हुये क्षेत्र में अबाध विकास को सुनिश्चित करने हेतु अलग से ’’पूर्वांचल’’ राज्य बनाने का भी प्रस्ताव विधानसभा से पारित करके केन्द्र सरकार के पास भेजा जो अभी भी केन्द्र सरकार के पास लम्बित पड़ा है।
मायावती ने कहा कि अब केन्द्र व उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी की सरकार है तो ख़ासकर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल व बुन्देलखण्ड क्षेत्र के विकास के लिये उसे ’विशेष सहायता’ अवश्य मंजूर करनी चाहिये, ताकि बीजेपी का यह ख़ास चुनावी वायदा पूरा हो सके कि केन्द्र व राज्य में बीजेपी की सरकार बन जाने पर यहाँ के लोगों की ग़रीबी व विकास की समस्या पूरी तरह से हल कर दी जायेगी। वैसे इस मामले में अब तक का अनुभव तो काफी कड़वा ही नहीं बल्कि एक छलावा ही लोगों को लगता है।
इसके अलावा बीजेपी की सरकार में सरकारी अंशदान के बजाय ज़्यादातर धन कर्ज के रूप में लेकर कराये जा रहे हैं, जिससे हर स्तर पर आमजनता पर बोझ बढ़ेगा। ’’गंगा एक्सप्रेस-वे’’ के लिये बी.एस.पी. सरकार ने 25,000 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा था जबकि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे हेतु बीजेपी की प्रदेश सरकार द्वारा 12,000 करोड़ रूपया बैंकों से कर्ज लेकर किया जायेगा। क्या इस सम्बंध में राज्य सरकार वित्तीय अनुशासन दिखाकर बजटीय प्रावधान नहीं कर सकती थी? इतना ही नहीं बल्कि इस बारे में केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार की भूमिका नगण्य क्यों है?
साथ ही ’’पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे’’ कोई नया नहीं बल्कि यह एक पुरानी परियोजना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार सन् 2014 में अपनी सरकार बनने के बाद अगर इस परियोजना को सही समय से लागू कर देती तो अब इस चुनाव के समय इसका शिलान्यास करनेे के बजाय इसका उद्घाटन हो सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि हर काम को ठीक चुनाव के समय में ही करके जनता को छलने की पुरानी परम्परा पर यह बीजेपी सरकार में भी कायम है। इसके साथ-साथ अब गोरखपुर व बुन्देलखण्ड एक्सपे्रस-वे की भी बनाने की मात्र खोखली बात करना यह सब भी जनता के साथ छलावा नहीं है, तो और क्या है?
इसके साथ-साथ बी.एस.पी. की यह भी माँग है कि बीजेपी की केन्द्र व राज्य सरकारें अपराध-नियंत्रण व क़ानून-व्यवस्था के साथ-साथ जनहित, जनकल्याण व विकास के मामलों को संकीर्ण व छलावे वाली चुनावी राजनीति से ऊपर उठकर व्यापक जनहित में काम करे, तो यह बेहतर होगा। वैसे भी देश व प्रदेश की आमजनता ने इस बारे में सोचना शुरू कर दिया है तथा अब और ज़्यादा इनके बहकावे में आने वाली नहीं है।