लखनऊ, हिन्दी साहित्य जगत के सशक्त हस्ताक्षर पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ की 16वीं पुस्तक ‘मंत्राज फाॅर लाईफ’ का विमोचन आज मोती महल वाटिका में चल रहे नेशनल बुक फेयर के साँस्कृतिक पाण्डाल में सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि डा. जगदीश गाँधी, प्रख्यात शिक्षाविद् एवं समाजसेवी, एवं मंचासीन विशिष्ट हस्तियों ने पुस्तक ‘मंत्राज फाॅर लाईफ’ का विमोचन किया जबकि समारोह की अध्यक्षता प्रख्यात कवियत्री श्रीमती रमा आर्य ‘रमा’ ने की। इस अवसर पर लेखकों, कवियों, प्रशासनिक अधिकारियों, पत्रकारों, शिक्षाविदों आदि की जोरदार उपस्थिति ने समारोह को यादगार बना दिया। समारोह में पुस्तक ‘मंत्राज फाॅर लाईफ’ के लेखक पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ ने मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथियों सर्वश्री वीरेन्द्र सक्सेना, पूर्व सूचना आयुक्त, उ.प्र., श्री मुरलीधर आहूजा, मैनेजिंग डायरेक्टर, राॅयल कैफे, श्री उमेश चन्द्र तिवारी, आई.ए.एस, नवाब जफर मीर अब्दुल्लाह, समाजसेवी, श्री टी.पी. हवेलिया, उपाध्यक्ष, उ.प्र. ओलम्पिक संघ, एवं डा. एस.एस. हाशमी, प्रख्यात लेखक व शिक्षाविद् आदि अपने विचार व्यक्त किये। श्री पी.आर. पाण्डेय ने अपनी ओजस्वी वाणी में समारोह का संचालन कर विमोचन समारोह को कभी न भूलने वाला ऐतिहासिक गौरव प्रदान किया।
इससे पहले, विमोचन समारोह का शुभारम्भ ईश वंदना से हुआ। इसके उपरान्त पुस्तक के लेखक पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ ने अपने पूज्यनीय माता-पिता की आरती कर युवा पीढ़ी को अनूठा संदेश दिया। संगीतमय वातावरण एवं मधुर ध्वनियों में माता-पिता की सुमधुर आरती ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। आरती की रचना स्वयं पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ ने की है।
इस अवसर पर उपस्थित विद्वजनों का हार्दिक स्वागत-अभिनन्दन करते हुए पुस्तक के लेखक पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ ने कहा कि मैं सभी पाठकों का हृदय से आभारी हूँ जिनके अपार स्नेह व सहयोग की बदौलत ही 16 पुस्तकों का लेखन संभव हो सका है। मैं पाठकों की भावनाओं के अनुरूप रचनात्मक लेखन करता रहूँगा और समाज के हर पहलू को आपके सामने पुस्तक के माध्यम से परोसने का सतत प्रयास करता रहूँगा।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि डा. जगदीश गाँधी, प्रख्यात शिक्षाविद् एवं संस्थापक, सिटी मोन्टेसरी स्कूल ने अपने संबोधन में कहा कि पं. शर्मा सिर्फ लेखक ही नहीं अपितु किशोरों व युवाओं के लिए मार्गदर्शक भी हैं। मैं चाहूँगा कि पं. शर्मा जी की यह पुस्तक समाज के अधिकाधिक लोगों तक यह पहुंचे जिससे सभी को जीवन को सही नजरिये से देख व समझ सकें। डा. गाँधी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह पुस्तक रचनात्मक व सकारात्मक विचारों से ओतप्रोत है जो समाज के सभी वर्गो में आत्मबल का संचार करेगी। वास्तव में यह पुस्तक जीवन जीने का एक नया अंदाज सिखाती है।
विशिष्ट अतिथि श्री वीरेन्द्र सक्सेना, पूर्व सूचना आयुक्त, उ.प्र., ने कहा कि यह पुस्तक जीवन की भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में पाठकों का मार्गदर्शन करने में सक्षम है। पुस्तक में शर्मा जी ने अपने अनुभव का निचोड़ युवा पीढ़ी के सामने रखा है और उन्हें कठिन परिस्थितियों से जूझने की ताकत दी है। श्री मुरलीधर आहूजा, मैनेजिंग डायरेक्टर, राॅयल कैफे, ने कहा कि पं. शर्मा की यह पुस्तक नैतिकता व सामाजिकता का ज्ञान देते हुए अपने कर्तव्य बोध से अवगत कराती है। श्री उमेश चन्द्र तिवारी, पूर्व आई.ए.एस, ने कहा कि युवा पीढ़ी बहुत तेजी से सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ना चाहती है परन्तु इसके लिए मार्गदर्शन की आवश्यकता है। श्री शर्मा जी की यह पुस्तक इसी आवश्यकता को पूरा करती है। नवाब जफर मीर अब्दुल्लाह, समाजसेवी, ने कहा कि पुस्तक में दिये गये छोटे-छोटे वाक्य अपने आप में गहरा निहितार्थ समेटे हुए हैं जिसे समझकर आज की पीढ़ी अपने जीवन को संवार सकती है। श्री टी.पी. हवेलिया, उपाध्यक्ष, उ.प्र. ओलम्पिक संघ, का कहना था कि यह पुस्तक मात्र एक पुस्तक ही नहीं अपितु छोटा-मोटा ग्रंथ है जिनमें जीवन की सूक्तियाँ समेटी गई हैं। इस पुस्तक को पढ़कर भावी पीढ़ी अपने जीवन को संवार सकती है। डा. एस.एस. हाशमी, प्रख्यात लेखक व शिक्षाविद ने कहा कि पूरी पुस्तक में रचनात्मक व सकारात्मक दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी गई है। लेखक की सरल, सुबोध लेखन शैली किशोरों व युवाओं को आकर्षित करने में सक्षम है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात कवियत्री श्रीमती रमा आर्य ‘रमा’ ने कहा कि आजकल के बच्चे बहुत स्मार्ट हो गये हैं एवं उन्हें प्रारम्भ से ही चारित्रिक उत्थान व जीवन मूल्यों की शिक्षा देनी चाहिए। इस कसौटी पर यह पुस्तक निश्चित ही खरी उतरती है। उन्होंने पुस्तक की प्रशंसा करते हुए कहा कि वास्तव में पं. शर्मा की यह पुस्तक जीवन के नये आयाम उद्घाटित करती है। उन्होंने सभी से अपील की कि इस प्रेरणादायी पुस्तक को स्वयं भी पढ़ें व अपने बच्चों को भी अवश्य पढ़ायें। समारोह के अन्त में लेखक पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ सभी के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने खासतौर पर पाठकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं सभी पाठकों का हृदय से आभारी हूँ जिनके अपार सहयोग की बदौलत ही मेरी सभी पुस्तकें अल्प समय में देश विदेश में लोकप्रिय हुई हैं।
समारोह के संयोजक श्री राजेन्द्र चैरसिया ने बताया कि पं. शर्मा की पुस्तकें ‘रचनात्मक विचारों, जीवन मूल्यों, संस्कारों व सामाजिक सरोकारों के अनूठे संग्रह के लिए केवल अपने देश में ही नहीं, अपितु पड़ोसी देशों यथा नेपाल, मारीशस आदि में भी ख्यातिप्राप्त हैं। इन दिनों पं. शर्मा की सभी 16 पुस्तकें ‘नेशनल बुक फेयर’ के स्टाल संख्या 61 पर
उपलब्ध हैं। पं. शर्मा की इन ख्यातिप्राप्त पुस्तकों में पं. शर्मा की इन ख्यातिप्राप्त पुस्तकों में ‘जागो, उठो, चलो’, ‘अवेक, एराइज, असेन्ड’, ‘जड़, जमीन, जहान’, ‘हार्वेस्ट आॅफ ह्यूमन वैल्यूज’, ‘जिद, जुनून, जिन्दादिली’, ‘सच करें सपने’, ‘कैसे बनें सफल माता-पिता’, ‘अपना रास्ता खुद बनायें’, ‘छोटी बातें, बड़े परिणाम’, ‘आओ करें ईश वंदना’, ‘योर डेस्टिनी इज इन योर हैण्ड्स’, ‘गिव विंग्स टु योर चाइल्ड’, ‘जीवन जियो जान से’, ‘आईडियाज दैट इम्पाॅवर’, ‘12 महीने 365 दिन’, एवं ‘मंत्राज फाॅर लाईफ’ प्रमुख हैं।