परीक्षाफल अच्छा नहीं रहा? घबरायें नहीं!-पंडित हरि ओम शर्मा ‘हरि’

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यूपी बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम आ चुके हैं जबकि अन्य बोर्डो व प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणाम जल्द ही आने वाले हैं। जिन बच्चों को परीक्षा में मनचाही सफलता मिलती है, उनकी व उनके परिवार वालों की खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं, परन्तु जिन बच्चों को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिल पाती है वो अक्सर हताश व निराश हो जाते हैं। अभी यूपी बोर्ड के परिणाम आने से पहले ही कुछ ऐसी खबरे आई कि कुछेक बच्चे परीक्षाफल को लेकर इतने आशंकित थे कि परीक्षाफल आने से पहले ही मात्र आशंका के आधार पर खुदकशी जैसे गलत कदम उठा लिए। ऐसे आशंकित व उद्धिग्न छात्रों को मैं यही कहना चाहता हूँ कि यदि परीक्षाफल मनचाहा नहीं भी है तो इसमें घबराने या निराश होने की कोई बात नहीं है, बात केवल इतनी है कि आप ईमानदारी से अपना आत्म अवलोकन करें और सुनिश्चित करें कि आपसे चूक कहाँ हुई है और मन में यह संकल्प लें कि यह चूक अब भविष्य में कभी नहीं होगी अगर आपने केवल इतना भर कर लिया तो आपकी मनचाही सफलता सुनिश्चित है। मैं दावे के साथ कहता हूँ कि यदि आपने मेरे इस सुझाव पर अमल कर लिया तो मनचाही सफलता की बात तो छोड़िये, आप सफलता के उस मुकाम पर पहुँच जायेंगे जिसकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। अतः निराश मत होइये! मेरे इन सुझावों पर अमल करिये और चढ़ जाइये सफलता के सोपान पर! और कर लीजिये अपनी मनचाही सफलता को मुठ्ठी में बंद!
असफलता से विचलित न हों: असफलता से विचलित होने का मतलब है ‘सफलता के द्वारा पर ताला लगा देना’ साथ ही अपने भविष्य पर ताला लगा देना! तो क्या आप चाहेंगें कि आपके भविष्य पर ताला लगा दिया जाये? कभी नहीं! तो फिर आप विचलित क्यों हो रहे हैं? अधीर क्यों हो रहे हैं? हिम्मत से काम लीजिये, सफलता का दरवाजा खुला रखिये, असफलता को गले लगाइये, उसको गौर से देखिये, जितना आप असफलता को गौर से देखेंगे सफलता उतनी ही आपके करीब आती जायेगी। वह इसलिए कि असफलता ही सफलता की जननी है। सफलता का जन्म ही असफलता के गर्भ से हुआ है। अब असफलता आपके साथ है, पल-पल और क्षण-झण! असफलता क्यों मिली? कहाँ ये चूक हुई? सोचिये, विचारिये, उन कारणों का पता लगाइये, समाधान करिये! सफलता आपको अवश्य मिल जायेगी। असफलता आती ही है आपके ज्ञान चुक्षु खोलने के लिए। एक पुरानी कहावत है – ठोकर लगने के बाद ही अक्ल आती है। इसके साथ ही दूसरी कहावत है – जिसमें ठोकर लगने के बाद भी अक्ल नहीं आयी वह इन्सान ही नहीं है। अब यह आपके हाथ में है कि आप अपने आपको किस श्रेणी में रखना चाहते हैं।
अपने उद्देश्य पथ पर निरन्तर चलते रहिये: ‘‘चलना ही जिन्दगी है, रुकना ही मौत तेरी’’ यह पंक्ति जिन्दगी की सच्चाई है और सभी की प्रेरणास्रोत है। चलने का नाम ही जिन्दगी है। अर्थात अपने उद्ेश्य पर अनवरत प्रयास करते रहना ही जिन्दगी है। आपने खरगोश व कछुवे की कहानी पढ़ी व सुनी ही होगी। खरगोश कछुवे को काफी पीछे छोड़ कर आराम से पेड़ की छाँव में सो गया और कछुवा अनवरत चलता ही रहा। जब कछुवे ने अपना उद्देश्य प्राप्त कर सफलता प्राप्त कर ली तब खरगोश की नींद खुली, तब खरगोश को सफलता के स्थान पर असफलता ही मिली! अतः अपने उद्देश्य से मत भटकिये! प्रयास जारी रखिये! अनवरत चलते रहिये! सच मानिये सफलता आपको ही मिलेगी।
अपने आपको भूल जाइये: अपने आपको भूलने का आशय है अपनी सुख सुविधाओं का परित्याग करना व कठिनाइयों व अभावों से न घबराना। किसी ने कहा है ‘मिटा दे अपनी हस्ती को अगर कुछ मर्तबा चाहे, कि दाना खाक में मिलकर गुले गुलजार होता है’ अर्थात अपने आपको कठिनाइयों, मुसीबतों की कसौटी पर कसो, भूल जाओ कुछ दिन के लिए दुनियाॅदारी, यारी-दोस्ती और रिश्तेदारी! भूल जाओ मूवी, सैर-सपाटा ओर पिकनिक पर जाना! अपनी सम्पूर्ण शक्तियों को लगा दो अपने उद्देश्य पर! सच मानिये सफलता आपके कदम चूमेगी।
किताबों को ही बनाये अपना दोस्त: किताबों से अच्छा दोस्त इस दुनियाॅ मे कोई नहीं है। आपके वह दोस्त भी नहीं जिनकी दोस्ती के कारण हुए समय की बर्बादी के फलस्वरूप ही आप अपनी मनचाही सफलता से वंचित हुए हैं। अतः कुछ दिन के लिए ऐसे दोस्तों से अपने आपको बचाकर किताबों को अपना दोस्त बना लीजिए। यह किताबे ही आपको ले जायेगी सफलता के सोपान तक। जो किताबें आपके कोर्स में निर्धारित है उनसे तो दोस्ती करिये ही साथ ही उसी विषयों से सम्बन्धित अन्य लेखकों की किताबों से भी दोस्ती करिये। सच मानिये सफलता आपका इन्तजार कर रही है।
आत्म-विश्वास बनाये रखें: आत्मविश्वास एक ऐसी नाव है जो इन्सान को लहरो व तूफानों से बचाती हुई किनारे तक सकुशल पहुँचाती है। इस समय आपकी नाव भँवर में है। अतः आत्मविश्वास का बनाये रखना अति आवश्यक है।:मन के हो हार है, मन के जीते जीत’। अतः आत्मविश्वास बनाये रखें, जीत आपकी ही होगी।
हीन भावनाओं से बचें: हीन भावना इन्सान को गर्त के गडढे में ले जाने के अलावा कुछ नहीं करती है। अतः इस लाइलाज बीमारी से बचाइये अपने आपको! हीन भावनाओं से बचने का एक मूल मंत्र मेरे पास है जो आज मैं आपको दे रहा हूँ और वह है ‘आशावादी बनना’। हमेशा आशावादी बनो, उत्साह, उमंग से लबालब रहो, सफलता आपके दरवाजे पर दस्तक देगी।
सोच रचनात्मक बनायें: इस संसार में न कोई अच्छा इन्सान है और न ही कोई बुरा इन्सान है। जिसकी सोच अच्छी है व रचनात्मक है वह अच्छा इन्सान, जिसकी सोच विध्वंसनात्मक है वह बुरा इन्सान। अतः हमेशा पाॅजिटिव सोचिये, निगेटिव कभी नहीं! निगेटिव विचारो को अपने दिलो-दिमाग से हमेशा के लिए निकाल कर फेंक दीजिये। जब भी सोचे और जब भी कोई कार्य करें, पाॅजिटिव ही करें। सफलता आपके पीछे-पीछे दौड़ेगी।
विनम्र बनिये: विनम्रता सफलता की द्योतक है ‘विद्या ददाति विनयम’। बिना विनम्रता के विद्या प्राप्त नहीं होती है, अतः विनम्र बने। विनम्रता एक ऐसा आभूषण है जो दूर से ही चमकता है। अतः विनम्र बनना सफलता के लिए उतना ही आवश्यक है जितना इन्सान को जीवित रहने के लिए पानी। जिस प्रकार इन्सान बिना पानी के जिन्दा नहीं रह सकता है ठीक उसी प्रकार इन्सान बिना विनम्रता के सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है। अतः विनम्र बनिये, सफलता प्राप्त करिये और वह भी पूर्ण विनम्रता के साथ!
टाइम-टेबिल अवश्य बनायें: बिना टाइम-टेबिल के आप सफलता तो प्राप्त कर सकते हैं किन्तु मनचाही सफलता प्राप्त नहीं कर सकते हैं, उच्च सफलता प्राप्त नहीं कर सकते हैं। उच्च सफलता आपको टाइम-टेबिल द्वारा ही प्राप्त हो सकती है। क्योंकि टाइम-टेबिल आपका वह सच्चा दोस्त है जो समय-समय पर आपको गाइड करता रहता है। अतः इस गाइड के सहारे ही आप पहुँच जाइये अपनी मंजिल तक! अन्यथा सफलता की इस भूल-भुलैया में आप भटक कर कहीं के कहीं पहुँच जायेंगे। अतः टाइम-टेबिल की महत्ता को समझिये, उसका पूर्णरूपेण पालन करिये, समय से सोइये, समय से जग जाइये, समय से पढ़िये और समय से खाइये, समय से खेलिये, समय से मौजमस्ती करिये। यह कार्य आपको केवल टाइम-टेबिल ही करा सकता है।
दूसरों के बदलते व्यवहार से परेशान न हों: जब इन्सान थोड़ी मुसीबत में होता है तो सभी के व्यवहार में बदलाव आ जाता है। शिक्षकों, सहपाठियों, अभिभावकों, अन्य परिवारीजनों, परिचितों व दोस्तों के आये इस बदलाव से न तो विचलित हो और न ही परेशान हो बल्कि उनके द्वारा किये जा रहे इस व्यवहार को ही अपनी ताकत व अपना सम्बल बना लें और जुट जाये पूरी तल्लीनता से अपने उद्देश्य पर। तब मिलेगी आपको सफलता और सफलता के मिलते ही इन सबके व्यवहार में फिर अचानक परिवर्तन आ जायेगा। अतः इस अदलते-बदलते व्यवहार को गम्भीरता से न ले।
ईश्वर पर विश्वास करें: और अन्त में सबसे महत्वपूर्ण सुझाव और वह यह कि ईश्वर पर विश्वास करें। आप जिस रूप में भी ईश्वर को मानते हैं उसी रूप में ईश्वर की पूजा, अर्चना, इबादत, प्रेयर व गुरू नानक का पाठ करें। ईश्वर पर यह विश्वास करें कि ईश्वर जो कुछ भी करता है हमारी भलाई के लिए ही करता है। आज हमें मनचाही सफलता नहीं मिली है उसमें भी हमारी भलाई ही होगी। ईश्वर हमें उससे भी अधिक ऊँची सफलता पर देखना चाहते हैं। अतः कर्म आप करिये, फल ईश्वर पर छोड़ दीजिये। सच मानिये आपको वह सफलता मिलेगी जिसकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी।

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