हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एचबीटीयू) के शताब्दी समारोह में 25 नवंबर को शामिल होने आ रहे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अगर 3.6 किमी का सफर वाया रोड कर लेते तो शायद सैकड़ों पेड़ बच जाते। वेस्ट कैंपस में पांच हेलीपैड बनाने के लिए सैकड़ों पेड़ काट दिए गए हैं जबकि 3.6 किमी दूर ईस्ट कैंपस में पहले से ही हेलीपैड बने हुए हैं।कई बार यहां पर हेलीकॉप्टर से अतिथि भी आ चुके हैं। एचबीटीयू के सामने सीएसए में भी हेलीपैड हैं। वेस्ट कैंपस में जिस जगह हेलीपेड बने हैं, वहां विलायती बबूल, पीपल समेत सैकड़ों छायादार पेड़ थे। विवि के अधिकारी पेड़ काटने की अनुमति होने की बात कर रहे हैं, लेकिन मामले में कोई खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। डीएफओ अरविंद यादव ने बताया कि बताया कि विलायती बबूल के पेड़ों को काटा गया है, उनको काटने के लिए अनुमति की जरूरत नहीं है। कैंपस के आसपास रहने वाले लोगों ने बताया कि यहां विलायती बबूल के साथ पीपल, बरगद और कई फलदार और छायादार पेड़ थे।
जड़ों को सीमेेंटेड पत्थरों से छिपाया
पेड़ों को काटने के बाद जड़ों को सीमेंटेड पत्थरों से छिपा दिया गया है। ऐसे में सवाल यह है कि अगर विलायती बबूल काटे गए हैं तो इनकी जड़ों को छिपाने की क्या जरूरत पड़ी।
विलायती बबूल के हैं कई लाभ
पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. वाईके सिंह ने बताया कि विलायती बबूल भी कार्बन डाई ऑक्साइड सोखने और ऑक्सीजन छोड़ने का काम करता है। इसकी दातून से मसूढ़े को मजबूत बनाने में कारगर है। इसके फल का उपयोग जोड़ो के दर्द की दवा बनाने में किया जाता है।