लखनऊ 19 जुलाई। राष्ट्रीय लोकदल के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष मंजीत सिंह ने किसानों एवं अल्पसख्यकों के प्रति सरकार द्वारा ढुलमुल रवैया अपनाने पर आक्रोष व्यक्त करते हुये कहा कि जिन जमीनों पर 70 वर्षो से सिक्ख तथा अन्य वर्ग के किसान खेती करते चले आ रहे हैं और बंजर भूमि को अपना खून पसीना बहाकर उपजाऊ बनाया है, आज की किसान विरोधी सरकार उन जमीनों पर नजरे गड़ाये हुये है जो सर्वथा अन्यायपूर्ण है।
श्री सिंह ने कहा कि भारत पाकिस्तान बंटवारे के समय से उत्तर प्रदेश के पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, रामपुर, बिजनौर, शाहजहांपुर तथा बहराइच सहित लगभग 1 दर्जन जनपदों में अनेको सिक्ख व पूर्वांचल के परिवार यहां बसकर अपने परिवार का भरण पोषण यहां कि बंजर जमीनों को उपजाऊ बनाने में अपना असीमित योगदान किया है। वर्ष 2020 में प्रशासन उक्त जमीनों से ऐसे शरणार्थी किसानों को बेदखल करने की कार्यवाही प्रारम्भ की गयी थी परन्तु जन आन्दोलन के द्वारा यह सूचना प्रदेश के मुख्यमंत्री को पहुंची तो उन्होंने इस समस्या के समाधान के लिए मण्डलायुक्तों की अध्यक्षता में 3 जुलाई 2020 को एक समिति का गठन किया और बेदखली की कार्यवाही रूक गयी। परन्तु अब तक उस सन्दर्भ में कोई भी स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव 2022 समाप्त होने के पश्चात उन सभी जनपदों में प्रशासन द्वारा सम्बन्धित किसानों को प्रताडित करना प्रारम्भ कर दिया गया है जिससे हजारों किसानों के परिवार आक्रोषित हैं।
कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर किसान हित में निर्णय लेने का अनुरोध किया है और आशा व्यक्त की है कि ऐसे किसानों को उन जमीनों की भूमिधरी करा दी जाय जो पिछले 70 वर्षो से जीविका का साधन बनी हुयी है। उन्होंने सम्बन्धित जनपदों के प्रशासन को चेतावनी देते हुये कहा कि जब तक मुख्यमंत्री का निर्णय किसान हित में नहीं होता तब तक यदि प्रशासन द्वारा किसानों का अनावश्यक उत्पीड़न न किया जाय अन्यथा उसका जवाब जन आन्दोलन के माध्यम से राष्ट्रीय लोकदल और हजारों किसानों द्वारा दिया जायेगा जिसका सारा उत्तरदायित्व सम्बन्धित जनपदों के प्रशासन का होगा।
(