राष्ट्रीय पुस्तक मेला रवीन्द्रालय चारबाग: तीसरा दिवस, साहित्यकार शिरोमणि सम्मान से नवाजे गए कथाकार शिवमूर्ति

0
96
नई जगह किताबें करा रही ताजगी का अहसास
लखनऊ,  शब्दकोश हो या कारवां गुजर गया, मधुशाला, गुनाहों का देवता, राग दरबारी जैसा कालजयी साहित्य, ये तो हर समय खरीदा और पढ़ा जाता है पर यहां रवीन्द्रालय लाॅन चारबाग में 14 सितम्बर तक चलने वाले राष्ट्रीय पुस्तक मेले में हर किस्म के साहित्य और पुस्तक प्रेमियों के लिए ये मौका है कि वह किताबों की नई दुनिया के साथ ही नये साहित्य, नये लेखकों से भी सहज रूबरू हो सकते हैं। आज यहां ‘कुच्चाी का कानून’ जैसे सशक्त व चर्चित लघु उपन्यास के रचयिता कथाकार शिवमूर्ति को आयोजक नालेज हब की ओर से अंगवस्त्र, स्मृतिचिह्न, सम्मान पत्र, 11 हजार की राशि व पुष्प देकर साहित्यकार शिरोमणि सम्मान से नवाजा गया।
     सुबह 11 से रात नौ बजे तक चल रहे इस मेले में सभी ग्राहकों को पुस्तकों पर न्यूनतम 10 प्रतिशत की छूट मिल रही है। राजकमल के स्टाल पर इस साल की 84 नये संस्करण की किताबों में ज्ञान चतुर्वेदी की पागलखाना, अलका सरावगी की एक सच्ची झूठी गाथा, कुंवर नारायन की बेचैन पत्तों का कोरस, मन्नू भण्डारी की बन्दी और श्रीकांत के संपादन में स्त्री अलक्षित जैसी कई महत्वपूर्ण किताबें हैं। प्रभात के दो सौ से ज़्यादा एनसीपीयूएल के स्टाल पर बच्चों के लिए उर्दू में लगभग 25 एकदम नई किताबें हैं। नये प्रकाशनों में डा.अब्दुल कलाम की किताब अदम्य उत्साह और शांतनु गुप्ता की योगीगाथा को विशेषकर नौजवान उलट-पलट का देख रहे हैं। बाराबंकी से किताबों के लिए आए राकेश कहते हैं कि एक बड़ा बदलाव नई किताबों में यह है कि प्रकाशक सकारात्मक सोच के मार्गदर्शन वाली किताबों को ज्यादा महत्व दे रहे हैं। वहीं रायबरेली की रिंकी यादव कहती हैं कि अब किताबों के मामले में व्यावसायिक रुख ज्यादा दिखता है। नये कलेवर में दाम कई गुना हैं जबकि किताबें लगभग वही हैं। शहर के बुजुर्ग शम्स नकवी नये मेलास्थल को सराहते कहते हैं चारबाग तक शहर के कोने-कोने से लोग बस, टैम्पो से आसानी से पहुंच सकते हैं।
डा.अमिता दुबे के संचालन में आयोजक देवराज अरोड़ा-नीरू अरोड़ा और नालेज हब के अन्य सदस्यों द्वारा सम्मानित हुए कथाकार शिवमूर्ति ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सम्मान और पुरस्कार में अंतर होता है। यह सम्मान आपके प्रेम की झलक देता है। सम्मान में तर्क व शर्त नहीं चलता, न यहां राशि का महत्व होता है। पूर्व में इसी सम्मान से अलंकृत विद्याविंदु सिंह ने शिवमूर्ति के सहज-सरल व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए कहा कि उनकी रचनाओं में लोकानुभव मिलता है। यह लोकोक्तियां, मुहावरे व लोकभाषा रचनाओं को ताजगी से भर देते हैं। कवि नरेश सक्सेना ने हिन्दी साहित्य के वृहत स्वरूप का जिक्र करते हुए कहा सामयिक पसंदीदा लेखकों में आज मेरे लिए शिवमूर्ति सर्वोपरि हैं। सर्वेश अस्थाना ने भी शिवमूर्ति को जन अनुभूतियों का कवि बताया।
तहजीबे अवध फाउण्डेशन के शहरयार जलालपुरी की अध्यक्षता, अमीर फैसल के संचालन में चले युवा काव्य समारोह में अतिथियों ज्योति किरन रतन व शमशाद आलम सहित  फैज खुमार, सलमान जफर, प्रभात यादव, ताज टिकैतपुरी, अब्दुल मोईद, अभय बलरामपुरी, सुहैल अहमद, मिन्नतुल्लाह, योगेश शुक्ला, विराट वर्मा, आशीष शर्मा, स्मिता उपाध्याय, दीपिका गौतम, इरशाद अहमद ने रचनाएं पढ़ीं। नवसृजन संस्था की रंगनाथ मिश्र सत्य की अध्यक्षता, डा.योगेश के संचालन व व शिवमंगल सिंह मंगल के वाणी वंदना में चली काव्यगोष्ठी में अनूप शुक्ल, विशाल मिश्र, अमर श्रीवास्तव, अतुल कश्यप, अमिता सिंह, हरिप्रकाश, त्रिवेणी प्रसाद दूबे, सुभाष हुड़दंगी, हिमांशु लखनवी प्रदीप गुप्ता आदि ने रचनाएं पढ़ीं। अंत में डा.ओम नीरव में संयोजन में चली कविता लोक कार्यशाला में रचनाशीलता की बारीकियों पर वक्ताओं ने प्रकाश डाला और रचनाएं सुनाईं।
पुस्तक मेले में आज – 8 सितम्बर 2018
अपराह्न 12.30 बजे – महिला रचनाकारों का कथापाठ व कवयित्री सम्मेलन
अपराह्न 3.30 बजे – संगोष्ठी- आज का समय और रचनाकारों-कलाकारों की भूमिका
शाम 5.30 बजे – अग्निपुराण में वर्णित समाज पर चर्चा- डा.उर्मिला सिंह
शाम 7.00 बजे – धानी चुनरिया के संयोजन में बच्चों की गायन व नृत्य प्रतियोगिता

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here