वर्तमान समय में पक्ष और विपक्ष का भेद समाप्त हो चुका है-राष्ट्रवाद मोर्चा

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लखनऊ यूपी प्रेस क्लब में राष्ट्रवादी विकास पार्टी स्वाभिमान पार्टी एवं नेशनल यूथ पार्टी के तत्वधान में गठित राष्ट्रवादी मोर्चा की संयुक्त प्रेस वार्ता हुई प्रेस वार्ता में  महिलाओं को 50% आरक्षण देने की बात कही और कहा कि राष्ट्रवादी मोर्चा मिलकर के पूरे प्रदेश में अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारेंगे ।

 

भारत की स्वतंत्रता के पश्चात भारतीय राजनीतिक व्यवस्था से भारतीय नागरिकों की कई आकांक्षाएं और अपेक्षाएं थी। इस दौरान संपूर्ण देश में तीन प्रकार की राजनीतिक व्यवस्थाएं निर्मित हुई। इन व्यवस्थाओं को शाब्दिक रूप में तीन प्रकार से समझा जा सकता है। पहली विदेश परस्त गरीब परस्त राजनीति, दूसरी विदेश अमीर परस्त राजनीति, तीसरी भारत परस्त लेकिन अमीर परस्त राजनीति। इन तीनों राजनैतिक स्वरूपों को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है।

1) विदेश परस्त अमीर परस्त राजनीति:– राजनीति के इस स्वरूप में राजनीतिज्ञो के आदर्श और प्रेरणा श्रोत विदेश की विचारधाराओं से प्रभावित और प्रेरित रहे। इस विचारधारा के लोग सामान्य तौर पर गरीब परस्त दिखते हैं लेकिन आदर्शों और प्रेरणा के स्वरुप के कारण भारत में स्वीकृत नहीं हो सके।

2) विदेश परस्त और अमीर परस्त:– इस विचारधारा के लोग भारत के जनमानस से दूर पूंजीवादी मानसिकता और व्यवस्था के पोषक और विदेशी व्यवस्थाओं से अत्यंत प्रभावित होने के कारण सत्ता में लंबे समय तक जमे रहने के बावजूद भारतीय सोच, मानसिकता और विचार से कटे कटे और दूर ही रहे। जिसकी स्वाभाविक प्रतिक्रिया स्वरूप अब देश और समाज से अपनी राजनीतिक जमीन खोते जा रहे हैं।

3) भारत परस्त अमीर परस्त:– उपरोक्त दोनों प्रकार के राजनीतिक विचारधाराओं को भारत के लोगों ने अस्वीकार किया। फलस्वरूप तीसरी विचारधारा जिसके नैतिक आदर्श भारतीय संस्कृति और सभ्यता से जुड़े हुए थे किंतु वह अमीर परस्त होने के कारण जन आकांक्षाओं पर खरे नहीं उतर पा रहे। वर्तमान राजनीतिक सत्ता इसी प्रकार की विचारधारा की पोषक है। जिसे हम भारत परस्त तो कह सकते हैं लेकिन ये अमीर परस्त राजनीतिक शक्ति हैं।जिनके समक्ष सामान्य गरीब व्यक्ति की कोई हैसियत नहीं।

भारतीय जनमानस आज भी इन तीनों प्रकार की विचारधाराओं को स्वीकार नहीं कर पा रहा है। इन तीनों प्रकार की विचारधाराओं से प्रेरित लोग भारतीय जन आकांक्षाओं को पूरा करने में पूर्ण रूप से असफल सिद्ध हुए हैं। इसलिए भारत में जन आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए भारत परस्त गरीब परस्त अर्थात सामान्य जनपरस्त राजनीति की आवश्यकता महसूस हो रही है। भारतीय जनमानस धार्मिक और सज्जन प्रकृति का है। सबका यह स्वीकार्य मत है कि भारतीय संस्कृति दुनिया की सबसे समृद्ध और प्राचीनतम संस्कृति है। भारतीय संस्कृति में सेवा का महत्व है। सेवा भी धर्मपूर्वक हो इसलिए संस्कृति की सेज पर समृद्धि आवश्यक मानी जाती है। भारत की संस्कृति और प्रकृति से तादात्म्य के कारण यह भारत की जिम्मेदारी है कि भारत के साथ साथ संपूर्ण विश्व में जीव जगत और जगदीश की सही समझ विकसित कर प्रकृति के साथ सहयोगात्मक विकास को स्वीकार कर आगे बढ़ने की समझ स्थापित की जा सके। 

राष्ट्रवादी मोर्चे की आवश्यकता, समय की मांग :–

 

वर्तमान समय में पक्ष और विपक्ष का भेद समाप्त हो चुका है। आज राजनीति का मकसद किसी भी कीमत पर कुछ भी करके पैसे कमाना, फिर किसी भी प्रकार से सत्ता में पहुंचना और तब ज्यादा से ज्यादा कमाकर भर लेने की चाह और लगातार पद पर बने रहने की चाह का अंतहीन व्यावसायिक खेल राजनीति है। आज राजनीति व्यवसाय बन गई है। राष्ट्रवादी मोर्चा के सदस्य दलों के कार्यकर्ता राजनीति को सेवा का माध्यम मानते हैं। राजनीति को मुद्दों और मूल्यों की पटरी पर स्थापित करना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। राष्ट्रवादी मोर्चा केवल सत्ता प्राप्ति का माध्यम न होकर जन आकांक्षाओं को पूरा करने वाला, व्यवस्था परिवर्तन का अनुगामी है। देश के अनुभवी और विचारवान सज्जन शक्तियों को एकत्र कर भारत को भारत बनाने के उद्देश से इस मोर्चे का गठन किया गया है। संपत्ति और आर्थिक संसाधनों के असमान वितरण और अव्यवस्थाओ के कारण वर्तमान भारत में भयंकर बेरोजगारी, बेतहाशा बढ़ती महंगाई स्पष्ट परिलक्षित हो रहे हैं। ऐसे में वर्तमान स्थापित राजनीतिक व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। किसी स्थापित दल के पास कोई मार्ग नहीं है। अमीर ज्यादा अमीर होता जा रहा है जबकि गरीब और ज्यादा गरीब होता जा रहा है। राजनीति में पाखंड बढ़ रहा है। भाषा की मर्यादा टूटती जा रही हैं। झूठ और फरेब राजनीति का मुख्य हिस्सा बन गए हैं। पक्ष और विपक्ष का भेद ही समाप्त हो गया है। राजनीति के खेल में दोनों ही जनता के विरोध में एकतरफा गोल कर रहे हैं। सामान्य जन असहाय और बेसहारा सा अपनी परिस्थिति को ईश्वरीय मर्जी मान कर जीने को मजबूर है। देश चारों ओर से असुरक्षित होता जा रहा है। विकास के नाम पर नई नई समस्याएं और तकलीफें बढ़ती जा रही हैं। सामाजिक, आर्थिक, पारिवारिक, धार्मिक असुरक्षा का वातावरण अपनी जड़े जमाता जा रहा है। ऐसी परिस्थितियों को देख समझकर देश भर में और विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के विचारवान, सेवाभावी, अनुभवी लोगों की नई टीम ने राष्ट्रवादी मोर्चे के बैनर तले उत्तर प्रदेश सहित संपूर्ण देश को एक नई राजनीतिक समझ के साथ, जनता की आवाज को सत्ताधीशों तक पहुंचाने और जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने उद्देश्य से राष्ट्रवादी मोर्चे का गठन किया है। मोर्चे से जुड़े लोग अपने अनुभव के साथ देश के अलग-अलग क्षेत्रों में अपने सेवा कार्यों को अंजाम दे रहे हैं। जन आकांक्षाओं के अनुरूप जनता के हक और हित में इस नई राजनीति का आरंभ उत्तर प्रदेश से हो रहा है। यह मोर्चा भविष्य में देश की राजनीति में बदलाव का कारक और व्यवस्था परिवर्तन के उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल होगा ऐसी अपेक्षा के साथ उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपनी ठोस उपस्थिति दर्ज कराने की शुरुआत हेतु कार्य कर रहा है। हमे आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाने में सफल होंगे। राष्ट्रवादी मोर्चा के सभी सदस्यों, शुभचिंतकों और सहयोगियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं

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