रिश्तों की अहमियत समझे

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ज़रा सोचे कि आप अपने ज़ीवन के आखिरी पल को ज़ी रहे है उस समय आप किस से बात करना चाहेंगे या किस के साथ उस पल को जीना चाहेंगे? आप को अपने इस सवाल का ज़वाब मिल गया होगा आप किसी अपने के साथ उस पल को ज़ीना चाहेंगे कोई अपनी माँ के साथ तो कोई अपने जीवन साथी के साथ तो कोई अपने बच्चो के साथ. अपने आखिरी पल में हर कोई अपनो की कीमत समझता है अगर इस कीमत का एहसास सब को पहले हो जाए तो सब हर रिश्तों कि कदर जरुर करेंगे

हम अपने पुरे जीवन में सभी रिश्तों में कुछ ना कुछ कमी निकालते रहते है तो कभी हम अपनो से नाराज हो के रहते है जिस पल को हमे अपनो के साथ enjoy करना था उस पल को हमने उनकी कमिया निकालने में लगा दिया हम अपनो को बदलने में लगे रहते है

“रिश्तों को बदलने के बजाए, उनको समझने में ध्यान लगाए
इससे रिश्ते और मजबुत होंगे मजबुर नही”

हम लोग आज कल बहुत choosy हो गए है हमे हर चीज़ perfect चाहिये चाहे वो वस्तु हो या रिश्ते हम अपना सारा टाइम रिश्तेदारो को perfect बनाने में लगा देते है हम ये भूल जाते है कि

“Relationship में लोग perfect हो ना हो relation perfect होना चाहिये”

हम सब perfection के तरफ़ भागते है Perfection के बजाए अगर हम acceptance के concept को समझे तो इस से हमारे रिश्तों में और मजबुति आएगी हम अपनो को बदल ने के बजाए उनको वो जैसे है वैसे accept करे ऐसा करने से रिश्तों में comfort level बडेगा और रिश्तों में प्यार की भावना आएगी

“ना बदलने का भाव हो, ना सोच पर हो कोई जोर
अपनाओ जैसे है वो, तब रिश्तों में होगा प्यार का शोर”

इस सच को आप को मानना होगा कि हम सब रिश्तों के बिना खुशहाल ज़ीवन नही जी सकते हर रिश्ते कि एक जगह होती है हमारे ज़ीवन में हर रिश्ते को value करना जरूरी है हर रिश्ता जरूरी है रिश्तों में कभी हमे प्यार देना होता है और कभी प्यार लेना होता है जिस तरह सिक्के के दोनों पहलू का अपना महत्व होता है ठीक उसी तरह रिश्तों में भी प्यार का लेनं और देन दोनों जरूरी है कभी भी एक तरफा रिश्ता नीभ नही सकता दोनों तरफ़ से रिश्ते को नीभाने कि कोशिश होनी चाहिये
कुछ रिश्ते बहुत ही नाजुक होते हैं। उन्हें निभाने के लिए बहुत सूझ बूझ और एहतियात की जरूरत पड़ती है। नाजुक रिश्तों में आप झूठ और फरेब को जगह ना दें। एक दूसरे पर भरोसा करना सीखें। एक दूसरे की बातों को सुनें और समझें। जहां टकराव की नौबत आ जाए, वहां खामोशी अख्तियार कर लें। या कई बार आपको छोटी छोटी बातों में समझौता भी करना पड़ सकता है। आप किसी की बात मान कर खुद को छोटा और शर्मिंदगी महसूस ना करें, बल्कि इस से आप अपने समझदार होने का सबूत दे रहे होते हैं। किसी के ऊपर अपना नज़रिया ना थोपें, बल्कि उसकी बात को भी सुनें। हो सकता है कि वह आपसे बेहतर मशविरा दे रहा हो। आप अपने सामने वाले को नीचा दिखाने की काशिश ना करें, बल्कि उसकी इज्जत करें। इन छोटी छोटी बातों को घ्यान में रखने से रिश्तों में मजबूती आती है।

Past को भूल कर Present में रिश्तों को निभाए। रिश्तों में जब भी past कि कडवी बातो को याद करते है तब अनबन होने कि समभावना रहती है। दो साल या तीन साल जो भी हुआ वो अब past है उसे बार बार याद करके रिश्तों में खटाश ना लाए।

रिश्तों को Judge ना करे। अगर हम अपने रिश्तों को Judge ना करे तो रिश्तों में आई दुरियो को हम कम कर सकते है। हम सब को Judge करने कि बहुत आदत है, समझने के बजाए हम दुसरो को Judge करने लग जाते है और इस से कई परेशानिया खडी हो जाती है। Judge ना कर के अगर हम दुसरो को सुने और समझे तो इस से हमारा रिश्ता और गहरा होगा।

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