लखनऊ, नई पीढ़ी सितार, गिटार, बांसुरी, वायलिन, सरोद, सारंगी आदि वाद्यों के संग हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत को किस तरह आत्मसात कर रही है, इसकी एक तस्वीर उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के स्टूडियो में बड़ी टीवी स्क्रीन पर निर्णायकों के सामने आई। कोविड-19 के कारण विपिनखण्ड गोमतीनगर स्थित अकादमी भवन में तंत्र, गज व सुषिर वाद्यों की प्रादेशिक संगीत प्रतियोगिताओं का दूसरा व अंतिम चरण प्रतियोगियों की रिकार्डेड क्लिप्स के आधार पर चल रहा है
गायन प्रतियोगिताओं के बाद आज प्रतियोगिताओं का तीसरा दिन था।
प्रतियोगिताओं के तीसरे दिन आज तंत्र बाल वर्ग में सरोद पर झपताल में राग खमाज की प्रस्तुति देने वाले गोरखपुर के आर्यन चटर्जी को प्रथम, मैण्डोलिन पर राग यमन बजाने वाली कानपुर की पाखी अग्रवाल द्वितीय व मैण्डोलिन पर ही राग जै-जै वंती की पेश करने वाल बरेली की एकसप्रीत कौर तृतीय घोषित की गईं। किशोर वर्ग में सितार पर राग पूरियाधनाश्री की प्रस्तुति देने वाली गोरखपुर की आकांक्षा सिंह द्वितीय और सितार पर ही राग कलावती बजाने वाले वाराणसी के विष्णु साहा तृतीय रहे। तंत्र वाद्यों के ही युवा वर्ग में सितार पर राग बिहाग की पेशकश देने वाल अंतरा भट्टाचार्य प्रथम रहीं जबकि, अन्य प्रतिभागियों को निर्णायकों ने पुरस्कार योग्य नहीं पाया। गज वाद्य बाल वर्ग में वायलिन पर राग जोग बजाने वाले बरेली संभाग के अमितोज सिंह को दूसरा स्थान मिला। किशोर वर्ग में वायलिन पर रागश्री प्रस्तुत करने वाले वाराणसी के पुष्कर भागवत को पहला, वायलिन पर भैरव राग बजाने वाले अलीगढ़ के पंकज हाणा को दूसरा व वायलिन पर ही झपताल में यमन की प्रस्तुति देने वाले कानपुर के अमनजीत जैन को तीसरा स्थान मिला। गज वाद्य युवा वर्ग में कठिन समझे जाने सारंगी वाद्य पर राग तोड़ी की व्रस्तुति देने वाले लखनऊ के दीपक शिवहरे को प्रथम स्थान मिला। सुषिर वाद्यों में प्रतियोगी बहुत कम थे तथा इस वर्ग में निर्णायकों ने नियमानुसार कोई भी प्रतिभागी पुरस्कार के योग्य नहीं पाया। आज तीसरे दिन निर्णायकों द्वारा मऊ के सनोज कुमार, वाराणसी के विनीत शर्मा आदि प्रतिभागियों की रिकार्डेड वीडियो क्लिप्स स्क्रीन पर देखी गईं।
प्रतियोगिता के निर्णायकों में भातखण्डे संगीत संस्थान सम विश्वविद्यालय से सम्बद्ध शिक्षक अभिनव सिन्हा, संगीतज्ञ अभिजीत राय चौधरी व के.के.कपूर म्यूजिक फाउण्डेशन के शिशिर कपूर शामिल रहे। निर्णायक शिशिर ने रिकाॅर्डेड क्लिप्स के माध्यम से निर्णय कराने की अकादमी की पहल को सराहा। उन्होंने कहा कि मंच के मुकाबले यहां रिकार्डेड क्लिप्स से निर्णय करना बेहतर लगा। यहां हम निर्णायक आसानी से प्रतिभागी की संगीत क्षमता के बारे में आपस में बात कर पा रहे थे। मेरे विचार से इसे आगे भी अपनाया जा सकता है। आकाशवाणी की प्रतियोगिताओं में भी रिकार्डिंग ही मंगाई जाती है। निर्णायक अभिनव सिन्हा का मानना थी कि यहां क्लिप्स में हम प्रतिभागी के मंच से ज्यादा नजदीक महसूस कर रहे थे। मंच पर वाद्य मिलाने और दूसरी चीजों में बहुत समय खराब होता है। यहां कम समय में ज्यादा काम हो गया। संगीतज्ञ अभिजीत राय ने कहा कि किसी क्लिप्स को हम निर्णायक आपसी बातचीत करते हुए बार-बार देख सकते हैं और उसे आगे-पीछे कर के देख-सुन और सुगमता से निर्णय कर सकते हैं। गायन प्रतियोगिता के निर्णायक रहे अमित मुखर्जी, डीएन मोघे व मंजुला पंत ने भी इस तरह निर्णय करने के अपने अनुभव को समय व आयोजन लागत को कम करने वाला बताने के साथ ही सुगम बताया। प्रतियोगिता संयोजक रेनू श्रीवास्तव ने बताया कि अब 15 जून को अवनद्य वाद्धों तबला-पखावज की प्रतियोगिताएं होंगी।