सुरभि व शिष्यायों ने खूबसूरती से कथक में ढाला ‘अटल मर्म’

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डा.सोनल मान सिंह ने बताई बारीकियां और दी नृत्य प्रस्तुति
लखनऊ, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी महज एक राजनीतिज्ञ नहीं, एक सहज हृदय वाले व उच्चकोटि की वैचारिक क्षमता वाले दार्शनिक व्यक्ति थे। उनकी ‘गीत नये गाता हूं……., हार नहीं मानूंगा-रार नहीं ठानूंगा…….., मैं शंकर का क्रोधानल……..’ जैसी कई काव्य रचनाएं आज शाम कथक भावों और गतियो में मंच पर साकार हो उर्ठीं
उत्तरप्रदेश संगीत नाटक अकादमी के यहां संत गाडगे प्रेक्षागृह गोमतीनगर में अटल जयंती के अवसर पर चल रहे त्रिदिवसीय आयोजन ‘आओ फिर से दिया जलाएं’ के अंतिम दिन प्रयास कला संगम की ओर से उनकी कविताओं को ‘अटल मर्म’ शीर्षक के अंतर्गत सुरभि सिंह की कोरियोग्राफी में बेहद खूबसूरती से ईशा रतन, मीशा रतन, अस्मिता गुप्ता, सृष्टि त्रिपाठी, वैशाली, काव्या मेहरोत्रा, आकांक्षा पाण्डे, रिशू कश्यप, व संगीता कश्यप, शिव वेनवंशी व मृदुलय सिंह जैसे नवयुवा कथक कलाकारों ने उतारा।
संस्कृति विभाग के सहयोग से हुई इस प्रस्तुति की कविताओं में ईशा-मीशा जैसी नृत्यांगनाओं ने प्रेम, हेम सिंह के संगीत में सजी अटल की कविताओं को देवेश चतुर्वेदी का जोशीला भावनामय स्वर मिला तो तबलानवाज विकास मिश्र के ताल वाद्य के फन के साथ उनका स्वर भी सुरभि सिंह के लेखन-निर्देशन व परिकल्पना में मंच पर उतरी इस संरचना को उभारने में मददगार बना। इसके साथ ही सोनल ठाकुर की इस प्रस्तुति को संवारने में आशीष कश्यप का ग्राफिक व एनीमेशन वर्क, एम.हफीज की प्रकाश परिकल्पना, शहीर अहमद व अभिषेक श्रीवास्तव की रूपसज्जा का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।
इससे पहले आयोजन के क्रम में पद्मविभूषण नृत्यांगना डा.सोनल मान सिंह की वार्ता और नृत्य प्रस्तुति हुई। आयोजन में पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी, यहां अतिथियों का स्वागत अकादमी की सभापति डा.पूर्णिमा पाण्डे, सचिव रूबीना बेग, प्रोडयूसर तरुणराज व संस्कृति विभाग के अधिकारियों ने किया।

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