आदरणीय महोदय आप विदित है कि सन 1670 ईस्वी में इस पवित्र स्थान पर महान बलिदानी सतगुरु श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी आकर 3 दिन रूके थे एवं नगर के आसपास की साध संगत को एक प्रभु परमात्मा के साथ जुड़कर मानव सेवा में अच्छे कार्य करने का उपदेश दिया इसके पश्चात सन 1672 ईस्वी में बाल अवस्था में सतगुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज अपनी माता ,माता गुजरी जी एवं मामा कृपाल चंद जी के साथ इस पवित्र स्थान पर 2 महीने रुके थे इस पवित्र स्थान से श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का सदैव भावनात्मक संबंध रहा है श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज ने वर्ष 1686 में पोटा साहिब से हस्तलिखित गुरु ग्रंथ साहिब अपने हस्ताक्षर करके इस स्थान पर भेजे थे प्राप्त जानकारी के आधार पर इस प्रकार के हस्तलिखित श्री गुरु ग्रंथ साहिब के दर्शन भारत में बहुत दुर्लभ हैं और इसी स्थान पर मौजूद हैं ।इसके पश्चात वर्ष 1693 ईस्वी में एवम् वर्ष 1701 ईसवी में गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के दो हुक्मनामे (हस्तलिखित चिट्ठी) यहां की संगत को भेजे गए थे जो भाग्य वर्ष इस पवित्र स्थान पर मौजूद एवं सुरक्षित हैं जिनके दर्शन करके संगत अपने आप को सौभाग्यशाली महसूस करती है ।
ऐसे महान तेजस्वी युगपुरुष 700 वर्ष से बना मुगलों का साम्राज्य समाप्त करने वाले श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का प्रकाश पर्व मनाने के लिए 9 जनवरी दिन रविवार सुबह 4:00 बजे से ही संगत आने लगी थी गुरुद्वारा याहिया गंज साहिब में जो के शीश महल की तरह बहुत शोभनीय दिखाई दे रहा था उस अति शोभनिय पावन दरबार हाल में सुबह 4:00 बजे से दीवान की आरंभ था नितनेम की 5 बाणीयों को पढ़कर की गई उसके उपरांत श्री सुखमणि साहिब का पाठ संगत एवं मुख्य ग्रंथी ज्ञानी परमजीत सिंह जी द्वारा किया गया उसके उपरांत श्री अखंड पाठ साहिब की संपूर्णता की गई फिर भाई अमनदीप सिंह जी जो बंगला साहिब दिल्ली से आए थे उन्होंने आसा की वार का कीर्तन किया फिर ज्ञानी जगजीत सिंह जाचक जी ने गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के बाल्यावस्था एवं उनके सामाजिक संघर्षों के बारे में कथा करके संगत को गुरु महाराज के सिद्धांतों से अवगत कराया
उसके उपरांत याहिया गंज के हजूरी रागी भाई वीर सिंह जी ने कीर्तन किया फिर लखनऊ की रहने वाली बीवी सिमरन कौर जी ने संगत को कीर्तन द्वारा निहाल किया उसके उपरांत ज्ञानी अंग्रेज सिंह जी जो गुरुद्वारा शीश गंज साहिब दिल्ली से आए हैं उन्होंने संगत को गुरु महाराज के इतिहास से अवगत कराया फिर अमृतसर से आए भाई गुरकीरत सिंह जी उन्होंने संगत को कीर्तन श्रवण कराकर भावविभोर किया इसके साथ ही जो गुरसिक्खी बड़ा मुकाबला रखा गया था उसके तहत छोटे-छोटे बच्चे एवं नवयुवक सभी सिख धर्म की परंपरागत वेशभूषा में सज धज कर आए हुए थे जिन्होंने अपने परंपरागत पोशाक का बहुत अच्छे से प्रदर्शन किया उनको देखकर पुरातन समय की सीखी की याद आने लगी सभी संगत के लोग उन बच्चों की परंपरागत पोशाक की सराहना कर रहे थे गुरुद्वारा अध्यक्ष डॉ गुरमीत सिंह जी ने विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया इसके साथ साथ 8 जनवरी शाम को जो प्रश्नोत्तरी जारी की गई थी उसमें भी सैकड़ों पत्र जवाब लिखकर आए जो विजेता थे उनको गुरुद्वारा अध्यक्ष डॉक्टर गुरमीत सिंह महासचिव सरदार परमजीत सिंह कोषाध्यक्ष गुलशन जोहर जी मनजीत सिंह तलवार जी सतनाम सिंह सेठी जी एस.पी.सेठी जी हरमिंदर सिंह मिंदी सभी सम्मानित महानुभाव ने बच्चों को पुरस्कृत कर उनका उत्साह बढ़ाया
तत्पश्चात रात्रि के समय गुरु महाराज के प्रकाश के समय ज्ञानी अंग्रेज सिंह जी ने प्रकाश कथा की और भाई वीर सिंह जी ने नाम सिमरन वह जयकारों की गूंज से फूलों की वर्षा करते हुए गुरु महाराज का प्रकाश पर्व मनाया फूलों की वर्षा होते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कि फूल गुरुद्वारा साहिब की बालकनी से नहीं मानो सीधे स्वर्ग से देवताओं द्वारा बरसाई जा रहे हो क्यों ना हो क्योंकि संगत में ही देवताओं का निवास रहता है बड़ी ही श्रद्धा भावना प्यार सम्मान सत्कार के साथ गुरुद्वारा यहीआ गंज में गुरु गोविंद सिंह जी का प्रकाश पर्व मनाया गया
साथ ही जितने भी मीडिया कर्मी गुरुद्वारा साहिब में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रिंट मीडिया जो कवरेज करने के लिए पहुंचे हुए थे एवम् प्रशासनिक अधिकारियों सहित सभी श्रद्धालु जनों सभी को डॉक्टर अमरजोत सिंह देवेंद्र सिंह गगनदीप सिंह सेठी गगन बग्गा ,जसप्रीत सिंह गुरजीत छाबड़ा सन्नी आनंद द्वारा सभी का स्वागत करते हुए उनको सम्मान भेंट किया । सारा दिन गुरु का लंगर अटूट वितरित किया गया