प्रदेश में सभी राजनीतिक दल जातियों को अपनी तरफ खींचने के लिए हर हथकंडा अपना रही है। ऐसे में सपा प्रमुख अखिलेश यादव आज उन्नाव में निषाद समाज के नेता की मूर्ति का अनावरण करेंगे। जिले के निषाद समुदाय के बड़े नेता रहे मनोहर लाल की 85वीं जयंती पर उनकी प्रतिमा का अनावरण करेंगे। 11:00 बजे उन्नाव पहुंचने के बाद अखिलेश यादव का जिले में कई जगह स्वागत होगा। इसको लेकर सपा के प्रवक्ता व एमएलसी सुनील साजन समेत कई नेता जुट गए हैं। 120 छोटे-छोटे रथ के साथ अखिलेश यादव का उन्नाव जिले में स्वागत किया जाएगा।
निषाद वोट बैंक पर नजर
सपा प्रवक्ता सुनील साजन ने बातचीत में कहा कि ‘अखिलेश यादव उन्नाव में समाज के बड़े नेता मनोहर लाल के कार्यक्रम में शामिल होंगे। सपा ने हमेशा से निषाद समाज का सम्मान किया है और इस समुदाय के नेताओं को राजनीतिक स्थान भी दिया है। जबकि बीजेपी सिर्फ निषाद समुदाय के साथ होने का दिखावा करती है’ उन्नाव में अखिलेश यादव निषाद समुदाय के बड़े नेता रहे मनोहर लाल की 85वीं जयंती के कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस दौरान अखिलेश यादव मनोहर लाल की एक मूर्ति का अनावरण करेंगे और एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे। यूपी में निषाद, मल्लाह और कश्यप वोट बैंक करीब 4 फीसदी है। अगले साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश का यह दांव निषाद वोट बैंक की सियासत से जोड़ कर देखा जा रहा है।
मुलायम के करीबी रहे मनोहर लाल की विरासत को आगे बढ़ा रहा है परिवार
मनोहर लाल साल 1993 में मुलायम सिंह यादव की सरकार में मत्स्य पालन मंत्री भी रहे थे ल। मनोहर लाल तब चर्चित हुए थे जब 1994 में फूलन देवी की रिहाई को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गए थे और निषाद के अधिकारों की मांग करने लगे. मनोहर लाल ने ही सबसे पहले रेती में खेती का मुद्दा उठाया था। मनोहर लाल ने निषाद-बिंद-मल्लाह-कश्यप और लोध जातियों को एकजुट करने के लिए भी जाना जाता है।
‘पिता की विरासत पर गर्व’
मनोहर लाल के बड़े बेटे रामकुमार कहना है कि, मनोहर लाल जी ने इन जातियों के बीच रोटी-बेटी का संबंध भी स्थापित किया था। उसके आगे की राजनीति की चर्चा करें तो साल 1994 में मनोहर लाल के निधन के बाद उन्नाव में उनके बेटे दीपक कुमार ने उनकी राजनीतिक विरासत को संभाला और दीपक कुमार सपा से कई बार विधायक और सांसद भी रहे। दीपक के निधन के बाद अब मनोहर लाल की विरासत मनोहर लाल के बड़े बेटे रामकुमार और उनके भतीजे अभिनव संभाल रहे हैं।
बीजेपी के निषाद वोट बैंक में सपा की नजर
यूपी की सियासत में 2018 से निषाद वोट बैंक को निर्णायक समझा जाने लगा। साल 2018 में गोरखपुर उपचुनाव में निषाद पार्टी और सपा के गठबंधन के बाद बीजेपी चुनाव हार गई और सपा से प्रवीण निषाद गोरखपुर से सांसद बन गए। गोरखपुर योगी आदित्यनाथ की परंपरागत सीट थी। इसीलिए 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने निषाद पार्टी से गठबंधन कर लिया। मौजूदा समय में भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल निषाद पार्टी के एक सांसद प्रवीण निषाद भी जीते हैं।