उ0प्र0 अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष डा0 राम बाबू हरित ने आज इन्दिरा भवन स्थित आयोग के कार्यालय में प्रेस प्रतिनिधयों से वार्ता के दौरान यह जानकारी देते हुए बताया कि उ0प्र0 अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग का मुख्य कार्य प्रदेश में रह रहे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों की ओर से प्राप्त शिकायतों का अनुश्रवण/सुनवाई करना और उसका सम्यक विधि एवं विधिपूर्ण समाधान करना है। आयोग के समक्ष अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के जो प्रकरण आते है वह मुख्यतः पुलिस एवं राजस्व विभाग से संबंधित होते है। इसके अतिरिक्त आयोग के समक्ष विभागीय एवं उत्पीडन के मामलों में दी जाने वाली आर्थिक सहायता से संबंधित मामले भी आते हैं । आयोग कुछ मामलों में समाचार पत्रों, इलेक्ट्रानिक मीडिया में आयी खबरों का स्वतः संज्ञान भी लेता है। उसके पश्चात आयोग द्वारा ऐसे मामले को नियमानुसार निस्तारण करने का प्रयास किया जाता है। उन्होंने बताया कि मेरे तीन माह के कार्यकाल में कुल 1817 प्रार्थना पत्र आयोग में प्राप्त हुए जिनमें से 1226 मामलों में संबंधित विभागों को अपने स्तर से निस्तारण हेतुं भेजे गये, 591 मामलों में संबंधित विभागों से आख्यायें मंगा कर आयोग द्वारा निस्तारण किया गया। डा0 राम बाबू ने बताया कि मेरे द्वारा 31 अगस्त 2021 से आयोग में पूर्व के लंबित विचाराधीन मामलों की सुनवाई की गयी और अब तक 195 मामलों में सुनवाई की गयी जिनमें से 101 मामलों का निस्तारण किया गया। शेष 94 प्रकरणों में अग्रिम सुनवाई नियत की गयी है। उन्हांेने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियो को सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली आर्थिक सहायता को सक्षम प्राधिकारियों द्वारा समय से प्रदान नहीं करायी जाती है ऐसी शिकायतें भी आयोग को प्राप्त होती है। मैंने आर्थिक सहायता से सम्बन्धित मामलों का गम्भीरतापूर्वक संज्ञान लेकर उनका त्वरित निस्तारण कराया जिसके फलस्वरूप तीन माह से कम की अल्प अवधि में 24 प्रकरणों का निस्तारण करते हुए पीड़ित परिवार को रू0 37,75,000.00 (रू0 सैतीस लाख पचहत्तर हजार मात्र) की धनराशि आर्थिक सहायता के रूप में आयोग के हस्तक्षेप से उपलब्ध करायी गयी । इससे पीडित व उसके परिवार के सदस्यों कोे आर्थिक लाभ प्राप्त हुआ और वे पुनर्वास की प्रकिया में शामिल हुए। डा0 हरित ने बताया कि समाज कल्याण विभाग से प्राप्त आंकडों के आधार पर तीन माह से कम की अल्पाधि में 24 प्रकरणों का निस्तारण करते हुए पीड़ित परिवार को रू0 37,75,000.00 की धनराशि आर्थिक सहायता के रूप में उपलब्ध करायी गयी वित्तीय वर्ष 2020-2021 में अत्याचारों से उत्पीड़ित अनुसूचित जाति एवं जनजाति के 23592 व्यक्तियों को रू0 229.05 करोड की आर्थिक सहायता मिल l समाचार-पत्रों एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा स्वतः संज्ञान लिये गये
प्रकरणों का विवरण इस प्रकार है-
29 जून, .2021 को जनपद आजमगढ़ के ग्र्राम पलिया, पोस्ट व थाना रौनापार, तहसील सगड़ी निवासी अनूसूचित जाति के श्री मुन्ना पासवान के साथ घटित ‘‘घर को तोड़फोड़ कर क्षतिग्रस्त करने, लूटपाट तथा महिलओं के साथ अभद्रता करने की घटना का आयोग द्वारा स्वतः संज्ञान लिया गया। आयोग द्वारा श्री रामनरेश पासवान की अध्यक्षता में श्री कमलेश पासी, श्री शेषनाथ आचार्य, श्री तीजा राम, श्री मनोज सोनकर एवं श्रीमती अनीता सिद्धार्थ, सदस्यगण को नामित करते हुए जांच कमेटी का गठन किया गया। गठित कमेटी ने 14 जुलाई, .2021 को घटनास्थल पर जाकर प्रकरण की जांच/अन्वेषण करने एवं जांच आख्या आयोग को उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये। प्रकरण में प्राप्त जांच आख्या आयोग की संस्तुति के साथ मुख्यमंत्री जी से भेंटकर उनको कार्यवाही हेतु दी गयी। इसी प्रकार 08 सितम्बर, .2021 को इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से आयोग के संज्ञान में आया कि जनपद अमरोहा के ग्राम देहरा चक थाना मंडी, धनौरा के अनुसूचित जाति के ग्राम प्रधान की बेटी का शव फंदे से लटकता पाया गया। जिसको स्थानीय समाचार पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया। इस घटना का आयोग द्वारा स्वतः संज्ञान लेते हुए श्री मिथिलेश कुमार, उपाध्यक्ष एवं साध्वी गीता प्रधान, सदस्य को नामित करते हुए एक जांच कमेटी गठित गयी। कमेटी ने 10 सितम्बर, 2021 को घटनास्थल पर जाकर प्रकरण की जांच/अन्वेषण करने एवं जांच आख्या आयोग को उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये। प्रकरण वर्तमान में आयोग में विचाराधीन है।