यूपी के विधानसभा उपचुनाव के प्रत्याशियों को लेकर कुछ स्थानों पर उठ रहे बगावती सुरों को देखते हुए भाजपा ने भितरघात रोकने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। इसके लिए पार्टी ने मंत्रियों, सांसदों और विधायकों को क्षेत्रवार जिम्मेदारी सौंपकर इन्हीं के कंधों पर वोट दिलवाने की जिम्मेदारी डालने का निर्णय किया है।
भाजपा नेतृत्व ने भितरघात की आशंकाओं को कम से कम रखने के लिए त्रिस्तरीय निगरानी व्यवस्था बनाई है। साथ ही उन लोगों से स्वयं बातचीत शुरू की है जिनके बारे में पार्टी के पास नाराजगी की सूचना है। यदि मनाने और समझाने के बावजूद कोई विरोध पर अड़ा रहता है तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
जानकारी के अनुसार पार्टी के रणनीतिकारों ने उपचुनाव वाले जिलों की संबंधित लोकसभा सीट के पार्टी सांसद और स्थानीय विधायकों को सेक्टर व क्षेत्रवार जिम्मेदारी सौंपने का फैसला किया है। साथ ही संबंधित जिले के प्रदेश सरकार के प्रभारी मंत्रियों के साथ जिला या आसपास के जिलों से प्रदेश सरकार में मंत्रियों को भी निर्वाचन क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। जहां भाजपा के सांसद नहीं हैं, वहां किसी अन्य वरिष्ठ मंत्री या नेता को लगाया गया है।
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नाम वापस लेने के लिए राजी करने का किया जा रहा प्रयास
देवरिया से भाजपा विधायक रहे जनमेजय सिंह के पुत्र अजय सिंह उर्फ पिंटू सिंह को नाम वापस लेने के लिए राजी करने की कोशिश की जा रही है। जनमेजय सिंह के निधन के कारण यहां उपचुनाव हो रहा है। अजय भाजपा से टिकट के दावेदार थे लेकिन पार्टी ने यहां सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी को अपना प्रत्याशी बनाया है। इस पर अजय ने भाजपा से बगावत कर नामांकन कर दिया।
पार्टी नेतृत्व को टूंडला और बांगरमऊ में भी कुछ लोगों के अंदर से विरोध करने की शिकायत मिली है। वहां संबंधित लोगों से बातचीत कर उन्हें समझाया गया है। साथ ही अनुशासन को लेकर कड़ी चेतावनी भी दी गई है।
मल्हनी में निर्दलीय चुनाव लड़ रहे धनंजय सिंह और निषाद पार्टी के गहरे रिश्ते को देखते हुए भाजपा ने निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस कराकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि निषाद पार्टी पूरी तरह भाजपा के साथ है। निषाद ने कहा भी कि वह एनडीए का हिस्सा थे, हैं और आगे भी रहेंगे।