आज दिनांक 3अक्टूबर 2022 को इंस्टीट्यूशन ऑफ़ इंजीनियर्स (इंडिया), यूपी स्टेट सेंटर, लखनऊ द्वारा विश्व पर्यावास दिवस का आयोजन इंजीनियर्स भवन, रिवर बैंक कॉलोनी, लखनऊ में किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डा.वन्दना सहगल, डीन (आर्किटेक्चर संकाय), ए.के.टी.यू., ने अपने सम्बोधन में बताया कि इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ ने विचार हेतु विषय “माइंड द गैप, लीव नो वन एन्ड प्लेस बिहाइन्ड” निश्चित किया है जिसका उद्देश्य शहरों और मानव बस्तियों में बढ़ती असमानता और चुनौतियों की समस्या पर विचार करना है। साथ ही विश्व में बढ़ती असमानताओं और कमजोरियों की ओर ध्यान आकर्षित करना भी है, जो ट्रिपल ‘सी’ संकट – COVID-19, CLIMATE और CONFLICT से और बढ़ गए हैं।
शहर और स्थानीय सरकारें संकट और आपात स्थितियों के साथ-साथ समावेशी, लचीला और हरित भविष्य की योजना बनाने में अग्रिम व महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। भविष्य की आपदाओं के लिए शहरी क्षेत्रों को तैयार करने के लिए, हमें शहरों से शुरुआत करनी होगी। इस प्रकार, सतत विकास लक्ष्यों की पूर्ति हेतु स्थानीय कार्रवाई कार्यान्वयन पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1985 में हर साल अक्टूबर के पहले सोमवार को विश्व पर्यावास दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया ताकि हमारे आवासों की स्थिति और सभी के पर्याप्त आश्रय के मूल अधिकार पर विचार किया जा सके। इस दिवस का उद्देश्य दुनिया को यह याद दिलाना है कि हम सभी के पास अपने शहरों और कस्बों के भविष्य को आकार देने की शक्ति और जिम्मेदारी है।पहली बार वर्ष 1986 में “आश्रय मेरा अधिकार है” विषय के साथ मनाया गया था। उस वर्ष नैरोबी आयोजन का मेजबान शहर था। हर साल इस दिवस को नए विषयों के साथ मनाया जाता था। संयुक्त राष्ट्र मानव बसाव कार्यक्रम द्वारा 1989 में ‘हैबिटेट स्क्रॉल ऑफ ऑनर’ पुरस्कार शुरू किया गया था। यह वर्तमान में दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित मानव बसाव पुरस्कार है। इसका उद्देश्य उन पहलों को स्वीकार करना है जिन्होंने आश्रय प्रावधान, बेघरों की दुर्दशा को उजागर करने, संघर्ष के बाद के पुनर्निर्माण में नेतृत्व, और मानव बस्तियों और शहरी जीवन की गुणवत्ता के विकास और सुधार जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान दिया है। नामांकन के लिए कॉल इस वर्ष के पुरस्कार के लिए खुला है।
शहर वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के लिए 70 प्रतिशत जिम्मेदार हैं। परिवहन, भवन, ऊर्जा और अपशिष्ट प्रबंधन के साथ शहरी उत्सर्जन का बड़ा हिस्सा है। वर्ष 2050 तक, हमारी वैश्विक आबादी का दो-तिहाई हिस्सा शहरी क्षेत्रों में रहेगा। शहरी आबादी में लगभग 90 प्रतिशत वृद्धि एशिया और अफ्रीका में होगी। कार्बन मुक्त दुनिया के लिए शहरी कार्रवाई में तेजी लाना होगा।
अंतर्राष्ट्रीय पर्यावास दिवस जनता को चिंता के मुद्दों पर शिक्षित करने, वैश्विक समस्याओं को दूर करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और संसाधनों को जुटाने और मानवता की उपलब्धियों का जश्न मनाने और सुदृढ़ करने के अवसर प्रदान करता है।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स के उत्तर प्रदेश सेन्टर के चेयरमैन श्री मसर्रत नूर खाँ ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और संस्था के क्रिया कलापों पर विस्तार से प्रकाश डाला।उन्होंने कार्यक्रम का कुशलता पूर्वक संचालन किया। समारोह में संस्था के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री वी.बी.सिंह, पूर्व चेयरमैन श्री आर.के.त्रिवेदी, राजकीय निर्माण निगम के प्रबन्ध निदेशक श्री सत्य प्रकाश सहित 100 से अधिक वरिष्ठ अभियन्ता उपस्थित रहे। अन्त में डा.जसवन्त सिंह, मानद सचिव ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।