उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने शहरी इलाकों में तंबाकू उत्पादों को बेचने के लिए लाइसेंस अनिवार्य कर दिया है। इसके लिए नगर विकास विभाग ने सभी नगरीय निकायों को अपने बोर्ड में उपविधि पास करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उपविधि का एक प्रारूप भी भेजा है। इसके तहत अस्थाई दुकानों के लिए लाइसेंस फीस 200 रुपये, स्थाई दुकानों के लिए एक हजार रुपये व थोक विक्रेताओं के लिए पांच हजार रुपये तय की गई है।
अपर मुख्य सचिव नगर विकास रजनीश दुबे की ओर से जारी आदेश के मुताबिक सभी नगरीय निकायों को अपने यहां उपविधि पास कर इसे लागू करवाने की कार्रवाई 31 जुलाई तक पूरी करनी है। लाइसेंस एक साल के लिए होगा। हर साल इसका नवीनीकरण कराना होगा। थोक विक्रेताओं के लिए नवीनीकरण शुल्क पांच हजार रुपये रखा गया है। फुटकर स्थाई विक्रेताओं के लिए 200 रुपये व गुमटी सहित अन्य अस्थाई विक्रेताओं के लिए 100 रुपये फीस निर्धारित की गई है।
नहीं बेचे सकेंगे नाबालिगों को तंबाकू उत्पाद : इन विक्रेताओं को सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003 के नियमों का पालन करना होगा। शैक्षणिक संस्थानों से 100 गज की परिधि में कोई भी तंबाकू उत्पाद नहीं बेचा जा सकेगा। तंबाकू बिक्री और इससे नुकसान का साइनेज दुकान पर लगाना अनिवार्य होगा। साथ ही नाबालिगों को तंबाकू उत्पाद नहीं बेचे जाएंगे और खुली सिगरेट बेचना प्रतिबंधित होगा। उत्तर प्रदेश में करीब 35.5 फीसद लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू का उपयोग करते हैं।
लाइसेंस बगैर उत्पाद बेचने पर जुर्माना व एफआइआर : लाइसेंस के बगैर तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर जुर्माने का प्रविधान किया गया है। पहली बार पकड़े जाने पर दो हजार रुपये रुपये जुर्माना लगाया जाएगा, जबकि दूसरी बार में पांच हजार जुर्माना देना होगा। तीसरी बार पकड़े जाने पर पांच हजार रुपये जुर्माने के साथ ही एफआइआर दर्ज कराई जाएगी। पर्यावरण अभियंता लाइसेंस जारी करने के प्रभारी अधिकारी होंगे। जोनल अधिकारी इसके नोडल अधिकारी होंगे और वे अपर नगर आयुक्त के निर्देशन में काम करेंगे।