उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदूषण फैलाने वालों पर सख्ती बरतते हुए ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू कर दी है। सरकार के विभिन्न विभागों की कुल 1633 टीमों ने पिछले एक हफ्ते में साढ़े आठ हजार से अधिक स्थानों पर छापेमारी कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की है। कुल 2601 डिफाल्टर मिले हैं। 427 को कारण बताओ नोटिस दिया गया है। इस दौरान करीब 30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। 90 ईंट-भट्टों सहित कुल 118 प्रोजेक्ट की तालाबंदी की गई है।
वायु प्रदूषण को लेकर एनजीटी व सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद उत्तर प्रदेश सरकार व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एक्शन में आ गया है। उद्योगों में प्रदूषण की जांच के लिए 23 टीमें लगाई गई हैं जिसने एक हफ्ते में 122 उद्योगों की जांच की। इनमें से 15 उद्योग डिफाल्टर मिले हैं। नौ को कारण बताओ नोटिस दिया गया है। इन पर 4,88,438 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
कूड़ा-कचरा जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए 1111 टीमें लगाई गईं हैं। इसने पिछले एक सप्ताह में 2216 स्थानों पर छापेमारी की। 370 डिफाल्टर मिले हैं। 56 को नोटिस दिया गया है। बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट की जांच के लिए 121 टीमें लगाई गईं हैं। इसने 475 स्थानों पर छापे मारे और 49 प्रोजेक्ट डिफाल्टर मिले हैं। इन पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। 47 को कारण बताओ नोटिस दिया गया है।
1353 पर एफआइआर दर्ज किया है। 836 अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है। साथ ही 76.36 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। 44 लाख रुपये की सरकार वसूली भी कर चुकी है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के समन्वय से हुई कार्रवाई : उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्रदेश के विभिन्न विभागों से समन्वय कर यह कार्रवाई करवा रहा है। बोर्ड हर हफ्ते 15 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की वायु गुणवत्ता को लेकर एक बुलेटिन जारी कर रहा है। इस बुलेटिन से भी संबंधित विभागों को कार्रवाई में बड़ी मदद मिल रही है।