उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के विज्ञापन संख्या 50 में भ्रष्टाचार की हो उच्चस्तरीय जांच -सुनील मौर्य भ्रष्टाचारियों पर हो कड़ी से कड़ी कार्रवाई- प्रतियोगी मंच 

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लखनऊ , उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच की मांग को लेकर इंडियन कॉफी हाउस लखनऊ में उच्चतर शिक्षा प्रतियोगी मंच व इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) के बैनर तले प्रेस वार्ता आयोजित हुई। प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) के प्रदेश सचिव व उच्चतर शिक्षा प्रतियोगी मंच के संयोजक सुनील मौर्य ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि विज्ञापन संख्या 50 में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार दिखाई दे रहा है क्योंकि 100 सही प्रश्न न तो आयोग बना पा रहा है और न ही सही उत्तर दे पाता। उदाहरण स्वरूप मैथ में 19 प्रश्न को आयोग ने डिलीट कर दिया इसके बावजूद अभ्यर्थियों ने 81 प्रश्न में 78 प्रश्न का सही उत्तर दिया। जो अध्ययन से संभव नहीं हो सकता। उसी तरह राजनीति विज्ञान में टॉपर्स के 95 में से 92 प्रश्न सही है।आयोग द्वारा तीन प्रश्नों के उत्तर बदलने पर वही प्रश्न ही टॉपर के गलत कैसे हो सकते हैं जबकि करेक्शन के बाद 95 प्रश्न सही होने चाहिए थे, इसी प्रकार शिक्षाशास्त्र, अंग्रेजी,बी.एड,संस्कृत, भूगोल, रसायन विज्ञान, समाजशास्त्र,भौतिकविज्ञान आदि विषय के परिणाम को नजर अंदाज नही किया जा सकता है।

सरकार ने भ्रष्टाचार मुक्त पारदर्शी परीक्षा कराने व नियुक्ति देने की बात करती है लेकिन उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग से लेकर जूनियर, प्राथमिक शिक्षक भर्ती तक भ्रष्टाचार दिखाई दे रहा है। इससे पैसा देकर लोग नौकरी पा जा रहे हैं. लेकिन पढ़ने वाला छात्र नौजवान ठगा महसूस कर रहा है जिसके खिलाफ नौजवानों में व्यापक गुस्सा है. भ्रष्टाचार मुक्त पारदर्शी परीक्षा व नियुक्ति के लिए आंदोलन को आगे बढ़ाएगा।

उन्होंने आगे कहा कि अगर सरकार शीघ्र उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग नहीं मानती है तो लखनऊ में सीधे मुख्यमंत्री से मुलाकात की जाएगी और यदि इसमें सकारात्मक निष्कर्ष नहीं निकलता है तो 17 सितंबर को जिला अधिकारी प्रयागराज कार्यालय पर नौजवान प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे।

उन्होंने परिणाम की उच्च स्तरीय जांच कराने और जांच में अनियमितता पाए जाने पर परीक्षा निरस्त कर पुनः परीक्षा कराने तक आंदोलन जारी रखने की बात कही । ताकि भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने वाले दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जा सके।

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