सत्यमेव जयते न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व उप आयुक्त राज्य कर डा. सत्यमेवजयते भारत लोकमंगल( पूर्व नाम डा. श्याम धर तिवारी) ने विभागीय भ्रष्टाचार का विरोध करते हुए 30 सितंबर 2022 को राजकीय सेवा से स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ले लिया।
डा. सत्यमेवजयते ने कहा कि भ्रष्टाचार एक संगठित अपराध के रूप में हमारे जीवन, समाज और लोक सेवा में व्याप्त हो गया है। सरकार ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टालरेंस की नीति घोषित कर रखा है, लेकिन इसका कोई ठोस परिणाम सामने नहीं दिखाई पड़ रहा है। एक ओर लोकसेवकों के भ्रष्टाचार से नागरिक उत्पीड़न के शिकार हैं तो दूसरी ओर राज्य के राजस्व की भारी क्षति की जा रही है। । सत्य और स्वाधीनता का नया समर लड़ना और जीतना होगा। 2047 में भारतीय समाज की आवश्यकताओं और लक्ष्यों को पाने के लिए हमको अभी से ईमानदारी से काम करना होगा। लोक कल्याण के लिए ईमानदारी का कोई विकल्प नहीं है। यह देखकर दुख और चिंता होती है कि यत्र-तत्र ईमानदारी का उपहास और भ्रष्टाचारी का गुणगान किया जाता है। करोड़ों नागरिकों को समृद्धिशाली बनाने के लिए इस स्थिति को बदलने की आवश्यकता है। भ्रष्टाचार पर निर्मम प्रहार करना होगा। भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने के लिए परिणाम देने वाले नये और कठोर उपाय किये जाने की आवश्यकता है।
संस्थागत भ्रष्टाचार का विरोध करने का अपना अनुभव बताते हुए डा. सत्यमेवजयते ने कहा कि भ्रष्टाचार करने-कराने और दबाने-छिपाने के लिए वरिष्ठ अधिकारी पद का खुल्लमखुल्ला दुरुपयोग और षडयंत्र करने में हिचकते नहीं हैं। राज्य और जनता के करोड़ों रुपये के राजस्व को संगठित रूप से लूटने- लुटाने वाले विभागीय अधिकारी कोई गुमनाम व्यक्ति नहीं हैं। दशकों से उनके भ्रष्टाचार की सड़ांध विभाग और प्रदेश में फैली हुई है।
भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए प्रोएक्टिव कानून और एक्शन की आवश्यकता है। पैसिव एक्शन से भ्रष्टाचार का बाल बाँका नहीं होता है।
डॉ सत्यमेवजयते ने कहा कि देश, समाज और व्यक्ति के जीवन में सत्य और अहिंसा के मानवीय मूल्य को कार्य विधि के रूप में अपनाना होगा। सार्वजनिक हित में भ्रष्ट अधिकारियों का विरोध करना आवश्यक हो गया है। उन्होंने युवाओं, विद्यार्थियों, अधिवक्ताओं, व्यापारियों और नागरिकों से भ्रष्टाचार करने वाले लोकसेवकों का खुला विरोध और बहिष्कार करने का आह्वान किया। राजकीय सेवा में भ्रष्टाचार, षडयंत्र, पद दुरुपयोग करने वाले अधिकारियों की निरंतर सार्वजनिक पहचान करने के लिए लोक अदालतों की भाँति प्रत्येक जनपद में भ्रष्टाचार निवारण आयोग बनाया जाए, जहाँ जनसाधारण दिन प्रतिदिन की भ्रष्टाचार संबंधी समस्याएं रिपोर्ट कर सकें और तत्काल त्वरित न्याय और समाधान प्राप्त कर सकें।
उन्होंने कहा कि राज्य कर विभाग में सत्यपाल (misnomer),बाबू लाल आदि के ऐसे कुख्यात अधिकारियों को बर्खास्त किए जाने, अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने से राजस्व संरक्षण हो सकेगा।उनके द्वारा विगत 10-12 वर्षों में किए गए प्रवर्तन, कार्पोरेट कर निर्धारण और अपीलीय कार्यों से अर्जित अकूत संपत्ति की सी बी आई जांच और वसूली कराने की आवश्यकता है।
सत्यमेव जयते न्यास द्वारा भ्रष्टाचार का विरोध और जनजागरण अभियान चलाने का निर्णय किया गया है।
वाराणसी, प्रयागराज,गोरखपुर, लखनऊ, कानपुर,झांसी, मेरठ, बरेली आदि मंडलों में सत्यमेवजयते न्यास की मंडल इकाइयों का पुनर्गठन किया गया है। भाग्योदय फाउंडेशन के अध्यक्ष एवम् संस्थापक राम महेश मिश्र ने कहा कि भ्रष्ट अधिकारियों, व्यक्तियों को दंडित नहीं किए जाने के कारण एक तेज़ तर्रार, ईमानदार अधिकारी ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लिया। भ्रष्टाचार के विरुद्ध उनका दशकों का प्रयास व्यर्थ नहीं जायेगा। हमें यह जानकर अति पीड़ा और क्षोभ का अनुभव हो रहा है कि शुचिता पूर्ण जीवन और कार्यशैली वाले अधिकारी पीड़ित होकर व्यवस्था से बाहर जाने को बाध्य हो रहे हैं और भ्रष्टाचारी फल- फूल रहे हैं। डॉ सत्यमेवजयते ” न दैन्यं न पलायनम्” की नीति अपनाते हुए भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए आगे आ गए हैं। हम इस लड़ाई में उनके साथ हैं। श्री मिश्र ने देश वासियों के मानस में प्रवेश कर गए भ्रष्टाचार की भी चर्चा की और नई पीढ़ी को बचपन से ही लोक शिक्षण देने का आवाह्न किया।
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र सुबोध रघुवंशी ने कहा कि डॉ. सत्यमेवजयते उत्तर प्रदेश राज्य कर विभाग में एक ईमानदार और निर्भीक अधिकारी के रूप में प्रसिद्ध रहे हैं। उनका राजकीय सेवा छोड़कर बाहर जाना सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर बड़ा प्रश्न चिह्न है।
वार्ता में सत्यमेव जयते न्यास के विपिन राय, डा. मृदुल कुमार शुक्ल व डॉ. राकेश कुमार तिवारी (मंडल संयोजक), सामाजिक कार्यकर्ता विनय श्रीवास्तव , डा. राजेश कुमार, डा मनीष पांडे, शंकर अतुल, काशी नाथ मिश्र विज्ञान जागरूकता दल आदि उपस्थित रहे।