वसीम रिज़वी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी हरिद्वार हेट स्पीच मामले में गिरफ़्तार

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हरिद्वार में आयोजित ‘धर्म संसद’ में आपत्तिजनक बयान देने के मामले में यूपी शिया वक्फ़ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिज़वी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी को उत्तराखंड पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है.

उन्हें रुड़की के नारसन बॉर्डर से हरिद्वार की सीमा में प्रवेश करने पर गिरफ़्तार कर लिया गया. हिरासत में लेने के बाद उन्हें हरिद्वार कोतवाली में लाया गया है.

उत्तराखंड पुलिस प्रवक्ता सेंथिल अवूदाई कृष्णराज एस ने बीबीसी हिंदी को बताया कि हरिद्वार में जितेंद्र नारायण त्यागी की गिरफ्तारी की पुष्टि की. उन्होंने कहा कि इस बारे में डिटेल्स की अभी प्रतीक्षा है. जैसे ही उन्हें और जानकारी मिलेगी, वह शेयर करेंगे.

उसके बाद हरिद्वार के एसपी स्वतंत्र कुमार ने मीडिया को बताया, “जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ़ वसीम रिज़वी को गिरफ़्तार किया गया है. अब इन्हें माननीय न्यायालय में पेश किया जाएगा.”

यू पूछे जाने पर कि क्या और लोगों के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई हो रही है, एसपी ने कहा कि ये सब विवेचना का विषय है और विवेचना जारी है.

ख़ास बात यह है कि हरिद्वार में हुई धर्म संसद में ही आपत्तिजनक बयान देने के मामले में नामजद महंत यति नरसिंहानंद गिरि भी वसीम रिज़वी के साथ ही थे लेकिन उन्हें पुलिस ने गिरफ़्तार नहीं किया.

सोशल मीडिया पर चल रहे एक वीडियो में वह पुलिस से यह कहते दिखाई दे रहे हैं कि वह भी तीन मामलों में त्यागी जी (वसीम रिज़वी) के साथ हैं, तो सिर्फ़ उन्हें क्यों गिरफ़्तार किया जा रहा है?

इसके बाद पुलिसकर्मी उन्हें भी साथ आने की बात कहते हैं. लेकिन उत्तराखंड पुलिस ने यति नरसिंहानंद गिरि को गिरफ़्तार नहीं किया है.

कौन हैं वसीम रिज़वी

उत्तर प्रदेश शिया वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी ने पिछले साल 6 दिसंबर को ग़ाज़ियाबाद के डासना देवी मंदिर में इस्लाम धर्म छोड़कर सनातन धर्म अपना लिया था.

धर्म संसद में विवादास्पद बयान देने के अलावा वह अपनी लिखी एक किताब को लेकर भी आलोचनाओं के केंद्र में रहे हैं. उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग को लेकर उत्तराखंड में प्रदर्शन भी हुए हैं.

हिंदू धर्म अपनाने के बाद उन्होंने जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी नाम अपना लिया.

मंदिर में शिवलिंग पर दुग्धाभिषेक, साथ ही वैदिक मंत्रोच्चार और अनुष्ठानों के बाद विधिवत रूप से सनातन धर्म को स्वीकार करने के बाद उन्होंने कहा था, “हमें यति नरसिंहानंद गिरी जी ने जो नाम दिया, उस नाम से हमें ऊर्जा मिली है. आज मैं इस मंदिर में हूं, इस मंदिर के पवित्र स्थान से हमें ऊर्जा मिली है.”

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