विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 20वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ का घोषणापत्र जारी

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विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 20वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ का घोषणापत्र जारी,

‘नई विश्व व्यवस्था’ गठन हेतु दुनिया के देशों को एकजुट होने का आह्वान

किया 71 देशों से पधारे न्यायविदो  व कानूनविदो ने

अन्तर्राष्ट्रीय कानून को सशक्त व प्रभावशाली बनायें

– न्यायमूर्ति श्री दलवीर भंडारी, न्यायाधीश, इण्टरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस, नीदरलैण्ड

लखनऊ,  नवम्बर। सिटी मोन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में आयोजित ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 20वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ में पधारे 71 देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, न्यायविद्, कानूनविद् व अन्य प्रख्यात हस्तियों  ने ‘लखनऊ घोषणा पत्र’ के माध्यम से विश्व के सभी देशों का आह्वान किया है कि भावी पीढ़ी के हित में नई विश्व व्यवस्था बनाने हेतु एकजुट हों। सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में चार दिनों तक चले इस महासम्मेलन के अन्तर्गत विश्व की प्रख्यात हस्तियों न्यायविदो  व कानूनविदो ने गहन चिन्तन, मनन व मन्थन के निष्कर्ष स्वरूप आज ‘लखनऊ घोषणा पत्र’ जारी किया गया।

            इण्टरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस, नीदरलैण्ड के न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री दलवीर भंडारी ने विभिन्न देशों से पधारे न्यायविदो  व कानूनविदो व अन्य प्रख्यात हस्तियों की ओर से आज होटल क्लार्क अवध में आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में ‘लखनऊ घोषणा पत्र’ जारी किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में न्यायमूर्ति श्री दलवीर भंडारी ने कहा कि बच्चों की केवल एक ही माँग है कि हमें एक अच्छा जीवन मिले और हमारा भविष्य सुरक्षित हो। इसके लिए हम सबकी जिम्मेदारी है कि अन्तर्राष्ट्रीय कानून को सशक्त व प्रभावशाली बनायें जिससे ग्लोबल वार्मिंग, नरसंहार के हथियार, न्यूक्लियर युद्ध का भय, जलवायु परिवर्तन इत्यादि समस्याओं का शान्तिपूर्वक हल निकाला जा सके। कोई एक देश अकेला इन समस्याओं का समाधान नहीं कर सकता। इसके लिए सामूहिक प्रयास व दृढ़ता की आवश्यकता है।

            इस अवसर पर त्रिनिदाद एवं टोबैको के राष्ट्रपति माननीय एन्थोनी थामस अकीनास कारमोना ने कहा कि आज विश्व को शक्ति प्रदर्शन नेतत्व की नहीं अपितु सेवा भाव नेतृत्व की आवश्यकता है। सही कार्य करों क्योंकि यही सही मार्ग है। हैती के पूर्व प्रधानमंत्री माननीय जीन हेनरी सेंट ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति आज शान्ति की खोज में है। इस सम्मेलन ने हमें शान्ति के लिए, सद्भाव के लिए तथा प्रेम के लिए कार्य करने का अवसर दिया है। इजिप्ट सुप्रीम कोर्ट के डेप्युटी चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति आदेल ओमर शेरीफ ने कहा कि यह सम्मेलन हमेशा ही न्यायिक जगत के लिए बदलाव साबित होता है। इसका नतीजा प्रभावशाली है और यह घोषणा पत्र में झलक भी रहा है। इसी प्रकार विभिन्न देशों से पधारे न्यायविद्ों ने भी एक स्वर से कहा कि सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ द्वारा आयोजित यह मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन एक ऐतिहासिक सम्मेलन है, जिससे आगे की पीढियां अवश्य लाभान्वित होंगी। न्यायविदों ने संकल्प व्यक्त किया कि वे अपने देश जाकर अपनी सरकार के सहयोग से इस मुहिम को आगे बढायेंगे जिससे विश्व के सभी नागरिकों को नवीन विश्व व्यवस्था की सौगात मिल सके और प्रभावशाली विश्व व्यवस्था कायम हो सके।

            इस घोषणा पत्र में विश्व के 71 देशों से पधारे न्यायविदो  व कानूनविदो  ने चार दिनों तक चले विचार-मंथन के निष्कर्ष को प्रस्तुत करते हुए विश्व एकता व शान्ति लाने के लिए शीघ्र ठोस कदम उठाने की आवश्यकता जोर दिया  है। न्यायविदो  व कानूनविदो  ने आतंकवाद, परमाणु हथियार, ग्लोबल वार्मिंग आदि पर काबू पाने हेतु सामूहिक प्रयास पर जोर दिया है ताकि विश्व के ढाई अरब बच्चे व भावी पीढियां शान्ति व सुरक्षा के साथ रह सकें। लखनऊ घोषणा पत्र में मूलभूत अधिकारों, सभी धर्मो का आदर करने एवं विद्यालयों में शान्ति व एकता की शिक्षा देने के लिए भी कहा गया है।

लखनऊ घोषणा पत्र का विस्तृत विवरण इस प्रकार है :-

हालाँकि मानव जाति का बहुत बड़ा वर्ग मूलभूत मानवीय अधिकारों से वंचित एवं अत्यन्त गरीबी की दशा में है तथा विश्व के करोड़ों बच्चे विभिन्न प्रकार के बाल दुर्व्यवहारों का शिकार हो रहे हैं, साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, स्वच्छ पेय जल, मकान एवं कपड़े आदि के मूलभूत अधिकारों से वंचित हैं।

हालांकि क्षेत्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद, सैद्धान्तिक, वैचारिक, राजनैतिक व अन्य मुद्दों पर युद्ध जैसे हालात पैदा कर रहा है जिससे बच्चों व अपने वाली पीढ़ियों सहित, सभी के कल्याण व शान्ति की स्थापना में बाधा उत्पन्न होती है और परमाणु प्रोद्योगिकी, आतंकवादियों व अराजक तथ्यों के हाथ में जाने का खतरा रहता है।

हालाँकि संयुक्त राष्ट्र संघ एक बड़ी संस्था है, जो कई अन्य संस्थाओं के साथ लोगों में शान्ति, सामाजिक उत्थान एवं अन्य क्षेत्रों में कार्य कर रही है, किन्तु इसमें ठोस कार्य करने की क्षमता व अधिकारिता की कमी है जिससे आम सभा के निर्णयों को लागू किया जा सके।

हालाँकि ग्लोबल वार्मिंग व पर्यावरण में बदलाव इस ग्रह पर विपरीत असर डाल रहे हैं और इनसे कई तटीय शहरों व द्वीपों के जलमग्न हो जाने का खतरा है, जिससे जैविक विविधता, जंगलों, विभिन्न प्रजातियों व समुद्री जीवन को खतरा बना हुआ है, जिससे मानव स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।

अतः हम विश्व के मुख्य न्यायाधीश व न्यायाधीश, जो 8 से 12 नवम्बर 2019 तक सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ, भारत द्वारा आयोजित, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 पर आधारित, ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 20वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ में प्रतिभाग कर रहे हैं, आज पिछले सम्मेलनों में पारित संकल्पों पर दोबारा अपनी मुहर लगाते हुए, यह संकल्प लेते हैं :-

कि विश्व के तमाम देशों के प्रमुखों व राष्ट्राध्यक्षों से अपील की जाए –

 क. कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के निर्देशों के अनुरूप उसका पुनरावलोकन किया जाए।

ख. कि राष्ट्राध्यक्षों व सरकारी तंत्रों के प्रमुखों की एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर विभिन्न वैश्विक समस्याओं पर विचार किया जाए और एक लोकतांत्रिक रूप से गठित विश्व संसद के लिए कार्य किया जाए जो एक प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून की स्थापना करे।

ग. कि ग्लोबल वार्मिंग को रोकने/कम करने हेतु तत्काल कदल उठाये जायें जैसा कि अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में आपसी समझौता हुआ है, एवं
घ.  कि अपने-अपने देशों के सभी स्कूलों में शान्ति शिक्षा तथा अर्न्त-साँस्कृतिक तालमेल की शिक्षा की शुरूआत के निर्देश दिए जायें,

कि संयुक्त राष्ट्र संघ से दृढतापूर्वक अनुरोध किया जाये –

क.   कि संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर की समीक्षा तथा सुरक्षा परिषद में संशोधन की प्रक्रिया तेज की जाये,

 ख.   कि सामूहिक नरसंहार के हथियारों को खत्म करने के प्रयासों में तेजी लाई जाये, तथा

ग.   कि आतंकवाद, उग्रवाद तथा युद्ध खत्म करने के उपाय किए जायें।

विश्व के न्यायालयों के सदस्यों से दृढतापूर्वक अनुरोध किया जाय –

क. कि व्यक्ति के सम्मान को बढावा दिया जाय जो कि सभी मूलभूत मानवाधिकारों तथा मौलिक स्वतंत्रता का आधार है।

ख. कि राष्ट्रीय सरकारों को प्रेरित किया जाय कि वे अपने समस्त स्कूलों में नागरिक शिक्षा, शान्ति शिक्षा तथा अर्न्त-साँस्कृतिक समझ की शिक्षा देने की शुरूआत करे।

और यह भी संकल्प लेते हैं कि इस घोषणा पत्र को सभी देशों व सरकारों के प्रमुखों व मुख्य न्यायाधीशों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव को उनके विचारार्थ और यथा संभव कार्यान्वयन हेतु भेजा जाए।

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