लखनऊ: बच्चों के लिए काम करने वाली एक जमीनी मानवीय संस्था वर्ल्ड विज़न इंडिया (डब्ल्यूवीआई) ने पोषण अभियान-जन आंदोलन के सहयोग से समुदायों और अन्य हितधारकों को शामिल करते हुए एक राज्य स्तरीय पोषण मेला का आयोजन किया। एक दिवसीय कार्यक्रम “सही पोषण देश रोशन” में पोषण माह के तहत एक महीने तक चलने वाले उत्सव के हिस्से के रूप में बाजरा के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूकता फैलाई गई और इसके व्यंजन (पारंपरिक) पकाने की विधियों का प्रदर्शन किया।
खाद्य विविधता पर बढ़ते ध्यान और बच्चों तथा महिलाओं में कुपोषण को दूर करने के लिए आहार में क्षेत्र विशिष्ट पारंपरिक खाद्य पदार्थों को शामिल करने के साथ, हमारा देश ‘सुपरफूड्स’ के युग में अत्यधिक पौष्टिक अनाज बाजरा पर ध्यान केंद्रित करके आगे का रास्ता दिखा रहा है।
कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं और बच्चों के नियमित आहार में बाजरा को शामिल करने के महत्व पर चर्चा की गई। वर्ल्ड विज़न इंडिया के समुदाय के सदस्यों (दादी मां) और लीडरों ने विभिन्न व्यंजन पकाने की विधियों का प्रदर्शन किया, जो बाजरा को पारंपरिक से आधुनिक रूप देते हैं। एनीमिया (खून की कमी) को दूर करने और महिलाओं और बच्चों में स्वस्थ विकास को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिक साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए बाजरा के सेवन पर जागरूकता संदेश भी साझा किया गया। कार्यक्रम में बाजरा पर आधारित सर्वश्रेष्ठ और अनोखे व्यंजनों का भी प्रदर्शन किया गया, जिसे आगे राज्य सरकार के साथ साझा किया जाएगा।
इस कार्यक्रम में बोलते हुए, वर्ल्ड विज़न इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर, श्री क्लेमेंट सोंगटे ने कहा, “कुपोषण भारत की मूक आपात स्थिति है और मानव विकास की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। कुपोषण बचपन की बीमारियों का कारण बनता है और सीधे बच्चे की शिक्षा को प्रभावित करता है। जब कोई बच्चा अल्प पोषण से पीड़ित होता है, तो यह बच्चे की संज्ञानात्मक विकास पर असर डालता है। इस कार्यक्रम के माध्यम से हमारा लक्ष्य आहार विविधीकरण और संतुलित आहार को बढ़ावा देने में बाजरा की संभावित भूमिका पर ध्यान केंद्रित करना है और भारत में खाद्य तथा पोषण सुरक्षा की समस्याओं को हल करने में बाजरा का उपयोग करने के लिए आगे का रास्ता सुझाना है।
वर्ल्ड विज़न इंडिया का समुदाय आधारित पोषण कार्यक्रम यह सुनिश्चित करता है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चे और नवजात शिशु कुपोषण से मुक्त हों। माताओं के लिए जागरूकता कार्यक्रमों और गर्भवती महिलाओं तथा नई माताओं की नियमित अनुवीक्ष के माध्यम से, वर्ल्ड विज़न इंडिया सबसे संवेदनशील आबादी के मध्य स्टंटिंग और वेस्टिंग को कम करने की सरकार के प्रयासों का समर्थन करता है। यह किशोर लड़कियों और महिलाओं के लिए – गर्भधारण से लेकर दो साल तक – लगभग 1000 दिनों के सिद्ध उच्च प्रभाव वाले हस्तक्षेपों के सार्वभौमिक कवरेज द्वारा किया जा रहा है।
वर्ल्ड विज़न इंडिया ने नागरिक समाज संगठनों और राज्य स्तर पर काम करने वाले व्यक्तियों सहित सभी हितधारकों से राज्य में सभी बच्चों का कल्याण सुनिश्चित करने हेतु कुपोषण को समाप्त करने और बाजरा आधारित आहार को बढ़ावा देने की दिशा में सहयोग करने और काम करने का आग्रह किया। कार्यक्रम में सरकारी अधिकारी और नागरिक समाज संगठनों के सदस्य शामिल थे। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथियों में श्रीमती रोशन जैकब आईएएस – डिवीजनल लखनऊ कमिश्नर, श्री कपिल सिंह आईएएस – निदेशक-एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस), श्री अखिलेश दुबे – प्रमुख – कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) लखनऊ, श्री सेराज अहमद – संयुक्त निदेशक – राज्य पोषण मिशन, श्री सुरेंद्र त्रिपाठी – डीपीओ, आईसीडीएस लखनऊ और श्री पुनीत मिश्रा – एकीकृत बाल संरक्षण योजना (आईसीपीएस) शामिल थें। लखनऊ, उन्नाव, सीतापुर, बाराबंकी, हरदोई और रायबरेली जिलों के सामुदायिक प्रतिनिधियों के साथ 100 से अधिक दादी माँ / माताओं / स्तनपान कराने वाली माताओं ने कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया।