पार्टी हलकों में कई लोगों को लगता है कि यह भाजपा नेतृत्व द्वारा यह संदेश देने का एक प्रयास है कि वह अब भी अनुभवी नेताओं का बहुत सम्मान करती है और उनके अनुभव और सलाह का उपयोग करने के लिए उत्सुक है। हालांकि कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा लिंगायत नेता को दरकिनार कर रही है। पार्टी नेतृत्व का यह कदम इसलिए भी अहम है, क्योंकि येदियुरप्पा ने हाल ही में चुनावी राजनीति में अपनी पारी के अंत का संकेत देते हुए कहा था कि अगर पार्टी उन्हें 2023 के राज्य विधानसभा चुनाव मैदान में उतारती है, तो वह बेटे बी वाई विजयेंद्र के लिए अपनी शिकारीपुरा विधानसभा सीट खाली कर देंगे।
चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस महीने की शुरुआत में राज्य के दौरे के दौरान येदियुरप्पा से मुलाकात की थी और कहा जाता है कि उन्होंने इस संबंध में चर्चा की थी। सूत्रों ने कहा कि नेतृत्व यह सुनिश्चित करना चाहता था कि येदियुरप्पा खुद को दरकिनार महसूस न करें, क्योंकि अनुभवी नेता के निष्क्रिय रहने से इसे चुनाव में पार्टी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का डर था। भाजपा ने बुधवार को एक बड़े फेरबदल में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपने संसदीय बोर्ड से हटा दिया। येदियुरप्पा और इकबाल सिंह लालपुरा सहित (पहले सिख प्रतिनिधि)छह नये सदस्यों को इसमें लाया गया