प्रेरणादायी व चर्चित पुस्तकें ‘जागो, उठो, चलो’ एवं ‘12 महीने 365 दिन’ पर हुई परिचर्चा
लखनऊ, 29 अप्रैल। प्रख्यात साहित्यकार व लेखक पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ द्वारा लिखित प्रेरणादायी व चर्चित पुस्तकों ‘जागो, उठो, चलो’ एवं ‘12 महीने 365 दिन’ पर लेखकों, शिक्षाविदों, पत्रकारों व साहित्यकारों की परिचर्चा बेहद सारगर्भित रही, जिन्होंने अपने उद्बोधन में दोनों पुस्तकों के मर्म को उजाकर कर भावी पीढ़ी को संस्कारों एवं जीवन मूल्यों की राह दिखाई। विद्वजनों की यह परिचर्चा आज लखनऊ पुस्तक मेला के साँस्कृतिक पाण्डाल में सम्पन्न हुई। विदित हो कि पुस्तक ‘जागो, उठो, चलो’ पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ द्वारा लिखित पहली पुस्तक है जबकि ‘12 महीने 365 दिन’ उनकी पन्द्रहवीं पुस्तक है। इससे पहले, मुख्य अतिथि एवं प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष मा. हृदय नारायण दीक्षित ने दीप प्रज्वलित कर पुस्तक परिचर्चा समारोह का विधिवत् उद्घाटन किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में मा. श्री हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि प. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ द्वारा लिखित पुस्तकें युवा पीढ़ी को सामाजिक सरोकारों व संस्कारों की राह दिखा रही हैं क्योंकि इनकी पुस्तकों के भाव हमारे उपनिषदों से मेल खाते हैं। मेरी कामना है कि शर्मा जी ऐसे ही लिखते रहें। शब्दों में बहुत शक्ति होती है और शब्दों के माध्यम से शर्मा जी जिस प्रकार भावी पीढ़ियों का कायाकल्प कर रहे हैं, वह प्रशंसनीय है। मैं शर्मा जी का आभार व्यक्त करना चाहता हूँ कि जो अपने लेखन से आज की पीढ़ी को सांस्कृतिक मूल्यों से परिचत करा रहे हैं, साथ ही उनमें जोश व उमंग भी भर रहे हैं। समाज को ऐसे की लेखकों की आज जरूरत है।
पुस्तक परिचर्चा समारोह की अध्यक्षता प्रख्यात कवियत्री श्रीमती रमा आर्य ‘रमा’ ने की जबकि संचालन श्री प्रत्यूष रत्न पाण्डेय ने किया। इससे पहले, लेखक व साहित्यकार पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ ने अपनी पत्नी श्रीमती मायादेवी शर्मा एवं मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों के साथ अपने पूज्य माता-पिता के चित्र पर माल्यार्पण एवं स्वरचित माता-पिता की आरती का सशब्द गायन कर उन्हें नमन किया एवं भावी पीढ़ी को संस्कारों व जीवन मूल्यों का अनूठा संदेश प्रेषित किया। तबले व हारमोनियम की थाप के साथ सुमधुर भजनों व गीत-संगीत ने भी समारोह में अनूठा समाँ बाँधा।
इस अवसर पर लेखक पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि व उपस्थित गणमान्य नागरिकों व बुद्धिजीवियों का हार्दिक स्वागत करते हुए कहा कि माँ सरस्वती की कृपा व पूज्य माता-पिता के आशीर्वाद से मेरी लेखनी सदैव भावी पीढ़ी के चारित्रिक व नैतिक उत्थान को समर्पित रही है और हमेशा रहेगी। मैं अपने सभी प्रबुद्ध पाठकों, शुभचिन्तकों व ईष्ट-मित्रों का आभारी हूँ जिन्होंने मुझे सतत् लेखन का हौसला दिया। इसी हौसले की बदौलत 15 किताबें लिखी जा चुकी हैं और 16वीं पुस्तक भी जल्दी ही पाठकों के हाथों में होगी, उसका लेखन अभी जारी है।
पुस्तक ‘जागो, उठो, चलो’ एवं ‘12 महीने 365 दिन’ पर परिचर्चा सभी के आकर्षण का केन्द्र रही, जिसमें मूर्धन्य विद्वानों ने एक स्वर से कहा कि पं. शर्मा की यह पुस्तक युवा पीढ़ी को सामाजिक सरोकारों व संस्कारों की सीख देने में सक्षम है एवं समाज के सभी वर्गों खासकर किशोरों व युवाओं को समाजोनुकूल जीवन पद्वति अपनाने की प्रेरणा देती है। इन विद्वजनों ने पुस्तक के मर्म को उजागर करते हुए जनमानस से अपील की कि इन पुस्तकों को अवश्य ही अपने घर में रखें और अपने बच्चों को इसे पढ़ने को प्रेरित करें।
प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने परिचर्चा में बोलते हुए कहा कि पं. हरि ओम शर्मा जी पिछले 44 वर्षों से लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हैं एवं इस लम्बी समयावधि में उन्होंने सदैव रचनात्मक व सकारात्मक दृष्टिकोण को ही प्राथमिकता दी है और यही कारण है कि पं. शर्मा सिर्फ लेखक ही नहीं अपितु समाज सुधारक भी हैं, जिन्होंने अपनी लेखनी से युवा पीढ़ी में रचनात्मक ऊर्जा भरने का प्रयास किया है। परिचर्चा में बोलते हुए गायत्री परिवार के प्रवक्ता
श्री उमानन्द शर्मा ने कहा कि पं. शर्मा लेखन के माध्यम से समाज की जो सराहनीय सेवा कर रहे हैं, वह अतुलनीय है। आज समाज को ऐसे ही पथ-प्रदर्शकों की जरूरत है। उ.प्र. मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष श्री हेमन्त तिवारी ने कहा कि सच्चाई यह है कि हमारी युवा पीढ़ी आज सामाजिक सराकारों से दूर होती जा रही है, ऐसे में पं. शर्मा की यह पुस्तक युवा पीढ़ी को सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ जीवन की बुलन्दियों को छूने का हौसला देती है। स्वतन्त्र भारत के स्थानीय संपादक श्री संजय सिंह श्रीवास्तव ने कहा कि यह संग्रहणीय पुस्तक सामाजिक सरोकारों पर भी पैनी नजर रखती है और समाज के प्रत्येक सदस्य को नई राह दिखाती है। श्री उमेश चन्द्र तिवारी, आई.ए.एस. ने कहा कि जीवन मूल्यों, संस्कारों व सामाजिक सरोकारों की हमारी अनूठी विरासत कहीं पीछे छूटती जा रही है, ऐसे में पं. शर्मा की ये दोनों पुस्तकें सामाजिक व्यवस्था की मजबूती में सहायक हैं। श्री एस. एम. पारी, प्रेसीडेन्ट, मीडिया फोटोग्राफर्स क्लब ने कहा कि मैं चाहता हूँ कि समाज के अधिकाधिक लोगों तक ये पुस्तकें पहुंचे जिससे जीवन को सही नजरिये से देखने व समझने की प्रवृत्ति विकसित होगी। वास्तव में, पं. शर्मा की ये पुस्तके जीवन के नये आयाम उद्घाटित करती है। श्री टी. पी. हवेलिया, प्रख्यात समाजसेवी ने अपने संबोधन में पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ को सामाजिक सरोकारों का अग्रदूत बताया, वहीं उनकी पुस्तकों को समाज का पथ-प्रदर्शक बताते हुए पं. शर्मा के लेखन के प्रति आभार जताया।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए हिन्दी साहित्य जगत की सशक्त हस्ताक्षर श्रीमती रमा आर्य ‘रमा’ ने अपने संबोधन में कहा कि पं. शर्मा का लेखन सदैव से ही प्रभावशाली रहा है। आपकी सरल, सुबोध लेखन शैली ही आपकी अपनी पहचान है जो पाठकों को उत्साह से भर देती है। अपने लेखन से पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ ने भावी पीढ़ी में एक नई सोच, नया उत्साह व एक नया जज्बा भरने का अभूतपूर्व प्रयास किया है। इसके लिए पं. शर्मा बधाई के पात्र हैं।